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अनुसूचित जातियों, जनजातियों पर अत्याचार के विरुद्ध राष्ट्रीय हेल्पलाइन लांच

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टोल फ्री नंबर ‘‘14566’’ पर दिन रात हिन्दी, अंग्रेजी तथा क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध
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एनएचएए प्रत्येक शिकायत का एफआईआर के रूप में पंजीकरण सुनिश्चित करेगी: डॉ. वीरेन्द्र कुमार
नई दिल्ली। केन्द्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेन्द्र कुमार ने आज नेशनल हेल्पलाइन अगेंस्ट एट्रोसिटी (NHAA) लॉन्च की। यह हेल्पलाइन टोल-फ्री नंबर ‘‘14566’’ पर दिन-रात हिन्दी, अंग्रेजी तथा राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों की क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध है।
यह हेल्पलाइन नंबर अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम 1989 को उचित तरीके से लागू करना सुनिश्चित करेगा और पूरे देश में किसी भी दूरसंचार ऑपरेटर के मोबाइल या लैंडलाइन नंबर से वॉयस कॉल/वीओआईपी कॉल से एक्सेस किया जा सकता है। यह अधिनियम अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जन जातियों के अत्याचार को रोकने के उद्देश्य से बनाए गए थे।
वेब आधारित सेल्फ सर्विस पोर्टल के रूप में भी उपलब्ध एनएचएए अत्याचार रोकथाम अधिनियम, 1989 तथा नागरिक अधिकारों की रक्षा (पीसीआर) अधिनियम, 1955 के विभिन्न प्रावधानों के बारे में जागरूक बनाएगा।
इन अधिनियमों का उद्देश्य भेदभाव समाप्त करना तथा सभी को सुरक्षा प्रदान करना है। एनएचएए यह सुनिश्चित करेगा कि सभी शिकायत एफआईआर के रूप में पंजीकृत हो, राहत दी जाए, सभी पंजीकृत शिकायतों की जांच की जाए और अधिनियम में दी गई समय-सीमा के अंतर्गत दायर सभी अभियोग पत्रों पर निर्णय के लिए मुकदमा चलाया जाए।
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ए) हेल्पलाइन के बारे में बुनियादी विवरण:
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टोल-फ्री सेवा।
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पूरे देश में किसी भी दूरसंचार ऑपरेटर के मोबाइल या लैंड लाइन नंबर से ‘‘14566’’पर वॉयसकॉल/वीओआईपी करके एक्सेस किया जा सकता है।
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सेवाओं की उपलब्धता : दिन-रात।
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सेवाएं हिन्दी, अंग्रेजी तथा राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों की क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध होगी।
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मोबाइल अप्लीकेशन भी उपलब्ध है।
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बी) हेल्पलाइन की विशेषताएं :
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शिकायत समाधान : पीसीआर अधिनियम, 1955 तथा पीओए अधिनियम 1989 के गैर-अनुपालन संबंधी पीडि़त/शिकायतकर्ता/एनजीओ से प्राप्त प्रत्येक शिकायत के लिए एक डॉकेट नंबर दिया जाएगा।
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ट्रैकिंग प्रणाली: शिकायतकर्ता/एनजीओ द्वारा शिकायत की स्थिति ऑनलाइन देखी जा सकती है।
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अधिनियमों का स्वचालित परिपालन: पीडि़त से संबंधित अधिनियमों के प्रत्येक प्रावधान की निगरानी की जाएगी और संदेश/ई-मेल के रूप में राज्य/केन्द्रशासित क्रियान्वयन अधिकारियों को कम्युनिकेशन/याद दिलाकर परिपालन सुनिश्चित किया जाएगा।
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जागरूकता सृजन: किसी भी पूछताछ का जवाब आईवीआर तथा ऑपरेटरों द्वारा हिन्दी, अंग्रेजी तथा क्षेत्रीय भाषाओं में दिया जाएगा।
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राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों के लिए डैश-बोर्ड: पीसीआर अधिनियम, 1955 तथा पीओए अधिनियम, 1989 लागू करने के लिए बनी केन्द्र प्रायोजित योजना के विज़न को लागू करने में उनके कार्य प्रदर्शन को लेकर डैश-बोर्ड पर ही राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों का केपीआई उपलब्ध कराया जाएगा।
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फीडबैक प्रणाली उपलब्ध है।
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संपर्क के एकल सूत्र की अवधारणा अपनाई गई है।- पीआईबी