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90 प्रतिशत कोरोना संक्रमित आइसोलेशन में ही रहकर ठीक हो रहे

सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी का कहना है कि कोविड की ट्रांसमिशन चेन को ब्रेक करने की आवश्यकता है। विभिन्न स्थानों पर कर्फ्यू की अवधि बढ़ा दी गई है।
हमारी रणनीति पहले टेस्टिंग, ट्रेसिंग आइसोलेशन, ट्रीटमेंट और वैक्सीनेशन इन पांच चरणों की प्रक्रिया है। कन्टेनमेंट जोन द्वारा कोशिश यही है कि कोरोना का संक्रमण एक विशेष क्षेत्र में ही रहे, इसका प्रसार न हो।
सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा है कि डिस्चार्ज होने वाले पेशेंट्स की संख्या भी लगातार बढ़ती ही जा रही है। 90 प्रतिशत कोरोना संक्रमित आइसोलेशन में ही रह कर ठीक हो रहे हैं। आइसोलेशन में रह रहे मरीजों पर भी निरंतर निगरानी रख रहे हैं।
104 कंट्रोल रूम पर 1500 से दो हजार के करीब विभिन्न प्रकार के कॉल आ रहे हैं, जिनमें व्हाट्सएप कॉल भी शामिल हैं और लैंडलाइन कॉल्स भी हैं।
राज्य सरकार ने एक और सबसे महत्वपूर्ण निर्णय लिया है कि ई-संजीवनी के माध्यम से लोग कहीं से भी चिकित्सकीय परामर्श ले सकते है।  इससे हमारे दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को काफी लाभ होगा और किसी को अनावश्यक रूप से घर से बाहर नहीं निकलना पड़ेगा। साथ ही लोगों को काफी सहूलियत भी रहेगी।
45 वर्ष से ऊपर वालों के टीकाकरण के लिए हमारे अनुरोध पर दो लाख डोज पहुंच रही हैं। भारत सरकार ने  इस बारे में कन्फर्म किया है। इसी के साथ एक लाख 20 हजार डोज और पहुंचेंगी। इस तरह हमारा वैक्सीनेशन कार्यक्रम सतत चल रहा है।
गांवों में बाहर से आने वाले होम आइसोलेशन में सही तरीके से रहें, इसकी मॉनिटरिंग पंचायत राज विभाग कर रहा है। प्रधानों को यह जानकारी दी जा रही है कि उनके गांव में कौन से लोग बाहर से आकर ठहरे हैं।
युवा कल्याण विभाग को भी इस कार्य में लगाया गया है। युवक और महिला मंगल दलों का सहयोग भी लिया जा रहा है।
प्लाज्मा डोनेशन का भी एप स्टार्ट किया है। हम लगभग 95 हजार लोगों को व्हाट्सएप मैसेज भेज चुके हैं। जिसमें अपील की गई है कि यदि आप कोरोना से स्वस्थ हो चुके हैं तो प्लाज्मा दान कर दूसरों की जान बचाएं। इससे लोग आगे आएंगे और प्लाज्मा डोनेट करेंगे, जिससे कोरोना की रोकथाम में सहायता मिलेगी।
सचिव डॉ. पंकज कुमार पांडेय ने बताया कि रेमडिसिविर का लगातार डिस्ट्रीब्यूशन जारी है। भारत सरकार ने हमारा कोटा और बढ़ाया है। आज हम 2000 इंजेक्शन रिसीव कर रहे हैं। जिन अस्पतालों से इसकी मांग आती रहेगी, हम वहां भेजते रहेंगे।

अच्छी सेहत के लिए बहुत कुछ है कैथा यानी वुड एप्पल में

हम उस व्यक्ति की भी संपूर्ण जानकारी ले रहे हैं, जिसे रेमडिसिविर दिया जा रहा है। हम क्रास चेक कर रहे हैं कि इंजेक्शन सही व्यक्ति तक पहुंच रहा है या नहीं।
विशेषज्ञों के आकलन में यह तथ्य सामने आया है कि जिनको लक्षण दिखाई दे रहे हैं और उन्होंने टेस्ट नहीं करवाया है, टेस्ट करवाया तो सही समय पर हॉस्पिटल नहीं आए या उन्होंने समय पर दवाई नहीं ली, जिससे उनका केस गम्भीर हो गया। गम्भीर  होने के बाद वे हॉस्पिटल आ रहे हैं तो आक्सीजन सेचुरेशन 70 प्रतिशत तक या उससे नीचे हो जा रहा है तो  मुश्किल हो रही है।
जिसमें भी लक्षण दिख रहे हैं अनुरोध है कि वह कृपया तुरंत दवाई खाना शुरू करें और सेंपल टेस्ट कराएं। समय पर दवा खाएंगे तो कोरोना गंभीर रूप धारण नहीं करेगा और हम जनता को अन्य परेशानियों से बचा पाएंगे।
कुछ जिलों में जहां भी व्यक्ति सेंपल देने जा रहे हैं, हमने वहां दवा रखवाई  है। व्यक्ति को सेंपल देने के साथ वहीं दवाई मिल जाएगी।
उनका कहना है कि जानकारी में आया है कि स्टेरॉइड का अच्छा रोल देखने को मिला है। यह आक्सीजन अचानक कम होने से बचा रहा है। इसे ध्यान में रखकर हम स्टेरॉइड देना भी शुरू कर रहे हैं।
वहीं, आईजी अमित सिन्हा ने बताया कि 115 स्थानों पर दबिश दी गई, जिसमें चार मुकदमे दायर किए गए और छह लोगों की गिरफ्तारी हुई है।
एक स्थान पर रेमडिसिविर किसी और के नाम से लेकर किसी और को दी जा रही थी, जिस पर गिरफ्तारी हुई। इसी प्रकार निर्धारित कीमत से अधिक पर आक्सीमीटर बेचने व आरटीपीसीआर टेस्ट करने का मामला भी पकड़ा गया।

 

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Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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