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डॉ.कलाम के प्रेरणास्पद कोट्स

मिसाइलमैन के नाम से प्रसिद्ध और भारत के पूर्व राष्ट्रपति महान वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का विज्ञान में योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनकी प्रेरणा से देश तरक्की के पथ पर है। सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंचने के बाद भी उनका पूरा जीवन सादगी वाला रहा। उनकी जीवनयात्रा पूरी दुनिया के लिए प्रेरणास्रोत है। डॉ. कलाम कहते थे – 

  •  यदि आप सफलता के लिए पूरी तरह दृढ़ संकल्पित हैं तो विफलता दूर ही रहेगी।
  • अपनी पहली जीत के बाद आराम न करें, क्योंकि यदि आप दूसरे चरण में असफल हो जाते हैं, तो लोग यह कहने के लिए प्रतीक्षा कर रहे होते हैं कि आपकी पहली जीत सिर्फ भाग्य थी।
  • सभी पक्षी बारिश के दौरान आश्रय पाते हैं, लेकिन ईगल बादलों से ऊपर उड़ने की वजह से बारिश से बच जाता है।
  • मनुष्य के जीवन में कठिनाइयों की जरूरत है, क्योंकि यह सफलता का आनंद लेने के लिए आवश्यक होती हैं।
  • यदि आप सूरज की तरह चमकना चाहते हैं, पहले सूरज की तरह खुद को तपाना होगा। 
  • हमारे सभी के पास समान प्रतिभा नहीं है, लेकिन हम सभी के पास अपनी प्रतिभा को विकसित करने का एक समान अवसर तो है।
  • अपनी भागीदारी के बिना आप सफल नहीं हो सकते और अपनी भागीदारी के साथ आप असफल नहीं हो सकते।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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