health

India’s First Indigenous Antibiotic: नैफिथ्रोमाइसिन भारत का पहला स्वदेशी एंटीबायोटिक, विशेष रूप से कैंसर और खराब नियंत्रित मधुमेह रोगियों के लिए उपयोगी

India’s First Indigenous Antibiotic: नई दिल्ली, 18 अक्तूबर, 2025ः भारत ने अपना पहला स्वदेशी एंटीबायोटिक “नैफिथ्रोमाइसिन” विकसित किया है, जो प्रतिरोधी श्वसन संक्रमणों के खिलाफ प्रभावी है, खासकर, कैंसर रोगियों और खराब नियंत्रित मधुमेह (Poorly Controlled) रोगियों के लिए। यह एंटीबायोटिक भारत में पूरी तरह से परिकल्पित, विकसित और चिकित्सकीय रूप से प्रमाणित पहला अणु है, जो दवा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

India’s First Indigenous Antibiotic: एंटीबायोटिक नेफिथ्रोमाइसिन को भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने प्रसिद्ध निजी फार्मा कंपनी वॉकहार्ट के सहयोग से विकसित किया है।

Youth Josh Mental Health: विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर डॉ. संतोष ने सार्थक जीवन के लक्ष्यों पर छात्रों से किया संवाद

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग राज्य मंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह जानकारी दी।

“मल्टी-ओमिक्स डेटा इंटीग्रेशन एंड एनालिसिस के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग” विषय पर तीन दिवसीय चिकित्सा कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, भारत को अपने वैज्ञानिक और अनुसंधान विकास को गति देने के लिए एक आत्मनिर्भर पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना होगा। उन्होंने कहा कि विज्ञान और नवाचार में वैश्विक मान्यता प्राप्त करने वाले अधिकांश देशों ने निजी क्षेत्र की व्यापक भागीदारी के साथ आत्मनिर्भर, नवाचार-संचालित मॉडलों के माध्यम से ऐसा किया है।

India’s First Indigenous Antibiotic

सरकारी-गैर-सरकारी सहयोग की एक और सफल कहानी का हवाला देते हुए, मंत्री ने यह भी घोषणा की, भारत ने जीन थेरेपी में एक बड़ी सफलता हासिल की है, जो हीमोफीलिया उपचार के लिए पहला सफल स्वदेशी नैदानिक ​​परीक्षण है, जिसके लिए परीक्षण भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा समर्थित था। यह परीक्षण क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज वेल्लोर में किया गया था।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारत ने पहले ही 10,000 से ज़्यादा मानव जीनोम अनुक्रमित कर लिए हैं और इसे बढ़ाकर दस लाख तक पहुंचाने का लक्ष्य है। जीन थेरेपी परीक्षण में शून्य रक्तस्राव प्रकरणों के साथ 60-70 प्रतिशत सुधार दर दर्ज की गई, जो भारत के चिकित्सा अनुसंधान परिदृश्य में एक मील का पत्थर है। ये निष्कर्ष न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित हुए हैं, जो उन्नत जैव चिकित्सा नवाचार में भारत के बढ़ते नेतृत्व को रेखांकित करते हैं।- PIB

Rajesh Pandey

newslive24x7.com टीम के सदस्य राजेश पांडेय, उत्तराखंड के डोईवाला, देहरादून के निवासी और 1996 से पत्रकारिता का हिस्सा। अमर उजाला, दैनिक जागरण और हिन्दुस्तान जैसे प्रमुख हिन्दी समाचार पत्रों में 20 वर्षों तक रिपोर्टिंग और एडिटिंग का अनुभव। बच्चों और हर आयु वर्ग के लिए 100 से अधिक कहानियां और कविताएं लिखीं। स्कूलों और संस्थाओं में बच्चों को कहानियां सुनाना और उनसे संवाद करना जुनून। रुद्रप्रयाग के ‘रेडियो केदार’ के साथ पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाईं और सामुदायिक जागरूकता के लिए काम किया। रेडियो ऋषिकेश के शुरुआती दौर में लगभग छह माह सेवाएं दीं। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम से स्वच्छता का संदेश दिया। जीवन का मंत्र- बाकी जिंदगी को जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक, एलएलबी संपर्क: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला, देहरादून, उत्तराखंड-248140 ईमेल: rajeshpandeydw@gmail.com फोन: +91 9760097344

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button