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हरित कौशल विकास कार्यक्रम से मिलता रोजगार

देहरादून। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव रवि अग्रवाल ने रविवार को वानिकी और वानिकी संबंधित आजीविका पर आधारित एनविस केंद्र के अंतर्गत चल रहे कार्यक्रमों की समीक्षा की। उन्होंने वन अनुसंधान संस्थान का दौरा किया।
अतिरिक्त सचिव अग्रवाल को एनविस-एफआरआई द्वारा निष्पादित विभिन्न गतिविधियों और कार्यक्रमों की जानकारी दी गई।
उन्होंने एनविस की प्रकाशित पत्रिकाओं व पुस्तकों का अवलोकन किया, जिनमें वानिकी बुलेटिन; बांस और नीलगिरी पर विशेष पुस्तकें; फॉरेस्ट न्यूज डाइजेस्ट के विभिन्न अंक आदि प्रमुख थे।
उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस, ओजोन दिवस, वन्यजीव सप्ताह, जैव विविधता दिवस, विश्व पर्यावरण दिवस पर स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय के छात्रों को शामिल करते हुए एफआरआई केंद्र के विस्तार कार्यक्रमों की सराहना की।
एनविस-एफआरआई केंद्र द्वारा पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के हरित कौशल विकास कार्यक्रम के कार्यान्वयन की भी सराहना की। उनको बताया गया कि आईसीएफआरई के संस्थानों ने वित्तीय वर्ष 2018-19 और 2019-20 के दौरान 32 जीएसडीपी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए।  इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों में 596 प्रतिभागी शामिल हुए थे।
अतिरिक्त सचिव ने कहा कि भारत सरकार का इस वित्तीय वर्ष के अंत तक सात लाख प्रतिभागियों को रोजगार सृजन का प्रशिक्षण देने का लक्ष्य है। उन्होंने इस सरकारी योजना के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए माध्यमिक स्तर के छात्रों की भागीदारी को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया।
इस अवसर पर भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं और शिक्षा परिषद के महानिदेशक अरुण सिंह रावत ने कहा कि संस्थान ने युवा पीढ़ी की भागीदारी और रोजगार सृजन के अवसरों को बढ़ाने के लिए हरित कौशल विकास कार्यक्रम के लिए नए मॉड्यूल विकसित किए हैं।
उन्होंने कहा कि देशभर के विभिन्न स्थानों में स्थित सभी भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं और शिक्षा परिषद के संस्थान जीएसडीपी प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाएंगे। बैठक में एफआरआई के सभी प्रभागों के प्रमुख, एनविस केंद्र के समन्वयक और अन्य कर्मचारी उपस्थित रहे।

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Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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