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घनसाली को ओबीसी क्षेत्र घोषित कराएंगेः मुख्यमंत्री

चमियाला। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा घनसाली के तहत 3.38 करोड़ की सात योजनाओं का लोकार्पण किया। वहीं, 74.55 करोड़ लागत की कुल 21 योजनाओं का शिलान्यास किया।
जिन योजनाओं का लोकार्पण किया गया, उनमें ग्रामीण निर्माण विभाग की छह तथा लघु सिंचाई विभाग की एक योजना शामिल है। शिलान्यास में लोक निर्माण विभाग की 15, ग्रामीण निर्माण विभाग की चार तथा जल संस्थान व जल निगम की एक-एक योजना शामिल है।
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने क्षेत्र की जनभावनाओं को देखते हुए घनसाली क्षेत्र को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में शामिल करने के लिए इसकी प्रक्रिया शुरू करते हुए लक्ष्य तक पहुंचाने तथा क्षेत्र की 42 मांगों को प्रस्ताव में शामिल करने की बात कही।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जो घोषणा की जा रही हैं, उन सभी का समय पर शासनादेश भी किया जा रहा है। हर घोषणा से पहले उनका वित्तीय आकलन भी किया जाता है। उन्होंने कहा हम राजनीति में लोकनीति पर कार्य कर रहे हैं। विभिन्न विभागों में रिक्त चल रहे चौबीस हजार पदों पर भर्ती प्रक्रिया चालू है। उन्होंने कहा कि लंबे समय से चली आ रही पुलिस भर्ती की मांग को भी सरकार ने पूरा करने का कार्य किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार सरलीकरण समाधान और निस्तारण के मंत्र के साथ आगे बढ़ने का कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री ने क्षेत्र की जनभावनाओ के दृष्टिगत घनसाली क्षेत्र को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में शामिल करने के लिए इसकी प्रक्रिया शुरू करते हुए लक्ष्य तक पहुंचाने की बात कही, साथ ही क्षेत्र के विकास के लिए की गई 42 मांगों को प्रस्ताव में शामिल किए जाने की बात कही।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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