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उत्तराखंड शिकायत या सुझाव के लिए डायल कीजिए 1905

देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बुधवार को सचिवालय में समाधान पोर्टल के लिए स्मार्ट आईवीआर (इंटरेक्टिव वायस रेस्पान्स) सिस्टम के माध्यम से सार्वजनिक शिकायतों को मोबाइल/फोन  पर प्राप्त कर उनका निस्तारण करने की सेवा की शुरुआत की। कोई भी व्यक्ति टोल फ्री नम्बर 1905 पर फोन कर अपनी शिकायत या सुझाव दर्ज करा सकता है।

शिकायत या सुझाव देने वाले व्यक्ति को अपना नाम, पता, मोबाइल नम्बर एवं शिकायत का विवरण उपलब्ध कराना होगा। इसके बाद शिकायत या सुझाव एनआईसी के पोर्टल पर दर्ज हो जाएंगे। उसके बाद शिकायत, सम्बन्धित विभाग के पास भेजी जाएगी। जिसका सम्बन्धित विभाग दस दिन के अन्दर फीडबैक देगा। आईवीआर सिस्टम के तहत एक साथ 15 लोग शिकायत और सुझाव दर्ज करा सकते हैं। इसमें  स्थानीय भाषा में भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। जिसके लिए अनुवाद की व्यवस्था भी रहेगी, जो लोगों के लिए आसान व्यवस्था है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने कहा कि समाधान पोर्टल पर आईवीआर सिस्टम होने से जनसमस्याओं के निवारण में तेजी आएगी। समस्याओं के निवारण के लिए सम्बन्धित विभागों की जिम्मेदारी तय रहेगी। इससे प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों के लोगों की समस्याएं पहुंचेगी तथा सुझाव भी मिलेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह अच्छी बात है कि आईवीआर सिस्टम में स्थानीय बोलियों को भी सम्मिलित किया गया है।

इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, प्रकाश पंत, अपर मुख्य सचिव डॉ. रणवीर सिंह, प्रमुख सचिव राधा रतूड़ी, मनीषा पंवार, सचिव राधिका झा, डी.सेन्थिल पांडियन, हरबंस सिंह चुघ, चन्द्रशेखर भट्ट, गढ़वाल कमिश्नर दिलीप जावलकर, महानिदेशक सूचना डॉ. पंकज कुमार पांडेय आदि उपस्थित रहे।

 

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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