राजेश पांडेय। न्यूज लाइव
डोईवाला से देहरादून वाले हाईवे पर लच्छीवाला के जंगल (Lachhiwala Forest Range) में लोगों का मेला सा लगा है। फोरलेन हाईवे के दोनों ओर बाइक, स्कूटी खड़ी हैं और लोग जंगल में पुट पुट ((Put put) तलाश रहे हैं। पुट पुट जंगली सब्जी है, जिसके बारे में बताया जाता है कि यह बादलों की गर्जन के समय धरती से बाहर निकलते हैं। कुछ भूरे, सफेद, काले रंग के पुट पुट छोटी-छोटी गोलियों की तरह होते हैं, जो सालभर में एक बार धरती से फूटते हैं। यह कितना पौष्टिक हैं, इस बारे में साफ तौर पर नहीं कह सकते हैं, पर लोग बताते हैं कि यह स्वाद में मटन की तरह लगता है।
रायपुर से आईं अरुणा थापा और कुछ महिलाएं लच्छीवाला के जंगल से पुट पुट इकट्ठे करके घर लौट रही थीं। हमारे पूछने पर अरुणा बताती हैं, इसकी सब्जी बहुत स्वादिष्ट होती है। उन्होंने हमें पुट पुट की सब्जी बनाने की विधि बताई, जिसके अनुसार, पहले इसको खूब अच्छी तरह धोया जाता है। प्याज मिलाकर इसको फ्राई करते हैं। लहसुन, मसाले, टमाटर मिलाकर बनाने पर यह इतना स्वादिष्ट बनता है कि, मीट को भी मात दे देगा। कुल मिलाकर इसको बनाने का तरीका ठीक वैसा ही है, जैसा मीट का होता है।
उन्होंने घर के लिए कुछ पुट पुट इकट्ठे किए हैं। पहले औली (देहरादून के मालदेवता के पास) के जंगल में यह खूब होता था, इन दिनों वहां यह कम मिल रहा है। पर, इन दिनों लच्छीवाला, दूधली के जंगल में काफी मिलता है। इसको ढूंढने में बहुत समय लगता है। यह बरसात के दिनों में यानी सालभर में मिलने वाली सब्जी है, इसलिए बहुत सारे लोग इसको इकट्ठा करने के लिए यहां पहुंच रहे हैं। रायपुर के ही युवा राहुल बताते हैं, बाजार में यह काफी महंगा बिकता है। यह छह सौ से आठ सौ रुपये प्रति किलो के रेट पर होता है। वो भी घर के इस्तेमाल के लिए पुट पुट ले जा रहे हैं।
लच्छीवाला जंगल में देहरादून के प्रेमनगर, रायपुर, डोईवाला, मोहकमपुर सहित आसपास के इलाकों से लोग पहुंच रहे हैं।
डोईवाला की पंचवटी कॉलोनी निवासी नरेश जंगल में पुट पुट ढूंढने के लिए पत्तियों को हटा रहे हैं। बताते हैं, पुटपुट इन पत्तियों के नीचे दिखते हैं। पुट पुट वाली थैली दिखाते हुए कहते हैं, अभी तक मात्र सौ ग्राम ही इकट्ठा कर पाए हैं। इसको बीनने में टाइम लगता है। यह बेहद स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है। जैसे मीट का मसाला बनाते हैं, वैसे ही इसको बनाते हैं।
सुबह यहां बहुत भीड़ थी, लोग इसको इकट्ठा करने के लिए जंगल में दो से तीन किमी. भीतर तक चले गए। बताते हैं, कुछ लोग इनको बेचने के लिए ले जाते हैं। जैसा ग्राहक मिला, वैसे ही रेट पर पुट पुट बिक रहे है। इनका कोई फिक्स रेट नहीं है। यह छह सौ से आठ सौ रुपये किलो में बाजार में मिल जाएगा। नरेश ने बताया, अभी जंगल में मिल रहा पुट पुट आकार में छोटा है, इसकी वजह आसमान का कम गर्जना है। जितनी तेज गर्जना, उतने बड़े पुट पुट। कुछ समय बाद बांबियों के आसपास मशरूम की तरह दिखने वाली सब्जियां मिलेंगी।
मोहकमपुर रेलवे फाटक के पास रहने वालीं पार्वती देवी, बच्चों के साथ जंगल में पुट पुट ढूंढ रही हैं। उनके पास नुकीली छड़ हैं, जिसकी मदद से जमीन में दबे पुट पुट निकाल रहे हैं। ये कहीं कहीं जमीन पर बिखरे हैं और कहीं कहीं जमीन में आधे दबे दिखते हैं। कई बार तो ये मखाने की तरह दिखते हैं।
बाहर खड़ी गाड़ियां और जंगल में आते-जाते दिखते लोगों को देखकर राह चलते लोग पूछते हैं कि यहां क्या हो रहा है। कुछ लोग उनको पुट पुट के बारे में बताते हैं, संभवतः बहुत सारे लोगों ने यह नाम पहली बार सुना होगा। पर, जंगल में मिलने वाली हर वनस्पति कितनी पौष्टिक या नुकसानदेय हो सकती है, इसके बारे में जान लेना आवश्यक है।