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क्या आपको मालूम हैं- ये चौंकाने वाली बातें

वेनिला फ्लेवर्ड फूड (आइसक्रीम और एसेंस सहित) का 80 प्रतिशत आर्टिफिशियल होता है, क्योंकि प्राकृतिक वेनिला सेम बहुत महंगा है।
कंगारू पीछे की ओर नहीं चल सकते हैं।
आलू दुनियाभर के बच्चों के स्वादिष्ट और पसंदीदा भोजन में शामिल है। दुनियाभर में सबसे अधिक खेती आलू की होती है।
लाइटर का आविष्कार मैच बॉक्स और स्टिक्स से पहले हुआ था।
जब आप एक समस्या को हल कर सकते हैं, तो आपको चिंता क्यों करनी चाहिए? जब आप किसी समस्या का समाधान नहीं कर सकते हैं, तो बस अनदेखा करके उसकी चिंता न करें।

लिपस्टिक शाकाहारी सौंदर्य प्रसाधन नहीं है। 95 प्रतिशत से अधिक लिपस्टिक में फिश स्केल्स इस्तेमाल होता है।
वीनस सौर प्रणाली में एकमात्र ग्रह है जो क्लॉक वाइस घूमता है, जबकि अन्य सभी ग्रह एंटी क्लॉक वाइस घूमते हैं।
खरगोश और तोते अपने सिर को घुमाए बिना देख सकते हैं कि उनके पीछे क्या है।
ऑस्ट्रेलिया दुनिया का एकमात्र महाद्वीप है, जिसमें कोई ज्वालामुखी नहीं है।

मानव के हाथों और पैरों में पूरे शरीर की आधे से अधिक हड्डियां होती हैं।
डॉल्फ़िन के अद्वितीय नाम होते हैं। उनकी भाषा क्या हो सकती है? यह अध्ययन नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज प्रोसिडिंग्स में प्रकाशित किया गया है। इंसान की अंगुलियों की तरह कुत्ते के नोज प्रिंट यूनीक होते हैं। यह कुत्तों की पहचान करने के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं।
क्या आपने पानी में सेब को फ्लोट करते देखा है? हाँ, सेब पानी पर तैरते हैं। इसका कारण यह है कि सेब 25 प्रतिशत हवा का बना है।

4 एकमात्र संख्या है, जिसकी स्पेलिंग में उसके समान अक्षर होते हैं। एफ ओ यू आर- 4 अक्षर।
मानव आँख में 10 मिलियन से अधिक रंगों की पहचान और अंतर करने की क्षमता है।
अल्बर्ट आइंस्टीन की आंखें न्यूयॉर्क में संरक्षित की गई हैं।
हमारा नाम हमारे व्यवहार को प्रभावित करता है। यह हमें सशक्त करता है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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