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कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज में फायदेमंद हो सकती है लौंग

लौंग को स्वाभाविक रूप से चयापचय संबंधी विकारों को कम करने के लिए जाना जाता है

इंडिया साइंस वायर

हृदय और रक्तवाहिकाओं संबंधी बीमारियों और टाइप-2 डायबिटीज जैसे चयापचय विकारों के उपचार के लिए शरीर में स्वाभाविक रूप से पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट ग्लूटाथियोन को बढ़ाना प्रभावी रणनीति माना जाता है। लेकिन, सिंथेटिक ग्लूटाथियोन अस्थिर है और जैविक उपलब्धता भी सीमित है।

भारतीय मसालों के एक महत्वपूर्ण घटक लौंग को स्वाभाविक रूप से चयापचय संबंधी विकारों को कम करने के लिए जाना जाता है। एक नये अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने लौंग के गुणों को बारीकी से समझने का प्रयास किया है। उनका यह प्रयास यह पता लगाने पर केंद्रित है कि शरीर में प्राकृतिक ग्लूटाथियोन का स्तर बढ़ाने में लौंग कितनी प्रभावी हो सकती है।

सेंट थॉमस कॉलेज, कोट्टयम, केरल के शोधकर्ताओं के इस अध्ययन के दौरान लौंग के जलीय अर्क के संभावित सक्रिय घटक क्लोविनॉल के गुणों की पड़ताल की गई है। इस अध्ययन में, ग्लूटाथियोन का स्तर बढ़ाने के लिए चयापचय विकारों से ग्रस्त रोगियों के दो अलग-अलग समूहों को क्रमशः क्लोविनॉल और सिंथेटिक ग्लूटाथियोन की नियंत्रित मात्रा दी गई और फिर दोनों के प्रभावों की तुलना की गई है।

अध्ययन में ऐसे प्रतिभागियों को शामिल किया गया, जिनमें प्री-डायबिटिक स्थितियों और चयापचय संबंधी विकारों का निदान किया गया था। इन प्रतिभागियों के नमूने आनंद मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पताल, वडोदरा, गुजरात से प्राप्त किए गए हैं, जिन्हें दो समूहों में बांटा गया है। एक समूह को क्लोविनॉल और दूसरे समूह को सिंथेटिक ग्लूटाथियोन कैपसूल की डोज 12 सप्ताह तक दी गई है। दोनों समूहों को सिंथेटिक ग्लूटाथियोन और क्लोविनोल के 250 मिलीग्राम प्रत्येक के खाद्य-ग्रेड कैप्सूल दिए गए हैं।

12 सप्ताह के बाद प्रतिभागियों ने 10 घंटे का उपवास किया। इसके बाद, प्रतिभागियों से प्राप्त रक्त के नमूनों में, शोधकर्ताओं ने एंटीऑक्सिडेंट परीक्षण किट के उपयोग से एंटीऑक्सिडेंट मार्करों की मात्रा का अनुमान लगाया है। सिंथेटिक ग्लूटाथियोन लेने वाले समूह की तुलना में क्लोविनोल कैप्सूल का सेवन करने वाले समूह में एंटीऑक्सिडेंट के स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई।

शोधकर्ता रतीश मोहनन कहते हैं – “क्लोविनोल से उपचारित प्रतिभागियों में एंटीऑक्सिडेंट का स्तर दूसरे समूह के प्रतिभागियों के मुकाबले लगभग 46% अधिक पाया गया है।”

एक स्वचालित जैव रासायनिक विश्लेषक का उपयोग करते हुए फास्टिंग ब्लड शुगर, इंसुलिन के स्तर और लिपिड प्रोफाइल सहित कई अन्य मापदंडों का भी विश्लेषण किया गया है। शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रतिदिन 250 मिलीग्राम क्लोविनोल ने कुल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को उल्लेखनीय रूप से कम किया और रक्त शर्करा को भी नियंत्रित किया। हालांकि, सिंथेटिक ग्लूटाथियोन का रक्त शर्करा और लिपिड चयापचय पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ा।

शोधकर्ताओं का कहना है कि चयापचय विकारों वाले रोगियों के उपचार में तेजी लाने के लिए क्लोविनोल के सेवन की रणनीति आजमाई जा सकती है। चयापचय संबंधी विकारों से ग्रस्त लोग एंटीऑक्सिडेंट स्तर को बनाए रखने और स्वस्थ रहने के लिए ऐसे न्यूट्रास्यूटिकल उत्पाद का संतुलित सेवन कर सकते हैं। हालांकि, लौंग की अधिक मात्रा आयरन के अवशोषण में हस्तक्षेप कर सकती है और एनीमिया का कारण बन सकती है। इसीलिए, सेवन से पहले डॉक्टर से मशविरा लेना और मानक मात्रा का निर्धारण आवश्यक है।

इस अध्ययन में, सेंट थॉमस कॉलेज, कोट्टयम, केरल के रतीश मोहनन के अलावा, लीड्स क्लीनिकल रिसर्च एंड बायो सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, बेंगलुरू के जस्टिन थॉमस, आनंद मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, वड़ोदरा के आनंद पाटिल, एके नेचुरल इन्ग्रेडिएंट्स, कोचीन, केरल के श्याम दास शिवदासन एवं कृष्णकुमार इलाथु माधवमेनन और सेंट थॉमस कॉलेज, कोट्टयम, केरल की शोधकर्ता शीतल श्रीवल्लभन शामिल हैं। उनका यह अध्ययन शोध पत्रिका जर्नल ऑफ फंक्शनल फूड्स में प्रकाशित किया गया है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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