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43 साल पहले आज ही के दिन शुरू हुआ था चिपको आंदोलन

  • जोशीमठ से नितिन सेमवाल की रिपोर्ट

उत्तराखंड की अमूल्य निधि यहां के वनों की रक्षा के लिए विश्वविख्यात चिपकाे आंदोलन की प्रणेता मातृशक्ति गौरा देवी को नमन। पेड़ों की रक्षा के लिए पूरे विश्व को ‘अंग्वाल‘ यानि चिपको का मूल मंत्र देने वाले चिपको आन्दोलन को आज 43 साल पूरे हो गए। चिपको आन्दोलन की प्रणेता गौरा देवी और कामरेड स्वर्गीय गोविंद सिंह रावत को जोशीमठ क्षेत्र के रैंणी गांव स्थित गौरा देवी स्मारक स्थल पर आयोजित चिपको आन्दोलन स्मृति समारोह में याद कर श्रद्धांजलि दी गई।

आज 26 मार्च के दिन 1974 को  उत्तराखंड के चमोली के रैणी गांव की ऋषि गंगा घाटी में हरे भरे वनों को बचानें के लिए रैंणी गांव की गौरा देवी और उनके साथ 26 महिलाओं ने पर्यावरण संरक्षण जनसहभागिता आन्दोलन चलाया था। चिपको नेत्री गौरा देवी और उनके साथ 26 महिलाओं ने अपने गांव के हरे भरे वनों को ठेकेदार के हथियारबंद मजदूरों के हाथों कटने से बचाने के लिए अपनी जान की परवाह किए बगैर पेड़ों पर ‘‘अंग्वाल‘‘ यानि पेड़ों से सामूहिक रूप से लिपटकर देवदार,चीड़,रागा के हजारों पेड़ों को कटने से बचाया था।

इस आंदोलन की जन्मभूमि रैंणी गांव में रविवार को चिपको नेत्री गौरा देवी के स्मारक स्थल पर ग्रामीणों और जनप्रतिनिधि एकत्रित हुए और गौरा देवी को श्रद्धासुमन अर्पित कर उनके योगदान को याद किया। इससे पहले गौरा देवी की सखी बाली देवी के नेतृत्व में आन्दोलन से जुड़ीं रैणी गांव की महिलाओं ने चिपको आंदोलन की जन्मस्थली पंगराणी पहुंचकर पेड़ों की पूजा कर उन पर फिर से रक्षा सूत्र बांधे। महिलाओं ने गौरा देवी के पेड़ों को बचाने के संकल्प को दोहराते हुए चिपको आन्दोलन की याद ताजा कर दी।

मुख्य समारोह रैणी गांव के गौरा देवी स्मारक स्थल पर आयोजित किया गया, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर के इस आंदोलन को याद महज चिपको नेत्री गौरा देवी के गांव रैणी के लोगों तक सीमित होकर रह गया इस दौरान जोशीमठ के एसडीएम भी उपस्थित रहे।

 

Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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