एम्स ऋषिकेश
12 अक्टूबर को दुनियाभर में विश्व गठिया दिवस मनाया जाता है। यह दिवस आमवाती रोगों के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर जोर देता है। अत्यंत पीड़ादायक व गंभीर किस्म की इस बीमारी से मरीजों को निजात दिलाने के लिए एम्स-ऋषिकेश के आंतरिक चिकित्सा विभाग में आधे दशक से अधिक समय से रुमेटोलॉजी स्पेशलिटी क्लीनिक (Rheumatology Speciality clinic) संचालित की जा रही है। इसके साथ ही क्लीनिकल इम्यूनोलॉजिस्ट (clinical immunologist) और रुमेटोलॉजिस्ट डॉ. वेंकटेश एस. पाई के मार्गदर्शन में संस्थान में स्पेशल क्लीनिक के साथ साथ डीएम रुमेटोलॉजी पाठ्यक्रम भी जनवरी- 2020 से सफलतापूर्वक संचालित किया जा रहा है।
गठिया लंबे समय तक रहने वाले रोग की एक अवस्था है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली जोड़ों पर हमला करती है और दर्द, सूजन और जोड़ों की अकड़न का कारण बनती है। इस बीमारी से ग्रस्त रोगी में जोड़ों की सूजन शरीर के दोनों ओर एक समान रूप से होती है। गठिया किसी भी उम्र में किसी भी व्यक्ति (पुरुष, महिलाओं अथवा बच्चों) को हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार पुरुषों की तुलना में महिलाओं में गठिया होने की आशंका तीन गुना से ज्यादा होती है।
गठिया के प्रमुख लक्षण
जोड़ों में सूजन, जकड़न और दर्द।
अन्य लक्षण– मुट्ठी बनाने में कठिनाई, थकान व कमजोरी लगना और बेवजह वजन का घटना।
जोड़ों के अलावा गठिया आपकी आंखों, दिल, फेफड़े, त्वचा और शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकता है। यदि इस बीमारी के उपचार में देरी की गई तो यह जोड़ों के आसपास की उपास्थि यानी कार्टिलेज (cartilage) और आसपास की हड्डियों को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे जोड़ों में विकृतियां उत्पन्न हो सकती हैं। विकृत जोड़ दिनचर्या से जुड़ी गतिविधियों को प्रभावित करते हैं। जैसे कि- बर्तन का ढक्कन खोलना, कलम से लिखना, दरवाजे का दस्ता खोलना, चाबियों का उपयोग करना आदि ।
सावधानियां एवं बचाव के उपाय-
स्वस्थ और संतुलित आहार करें
नियमित व्यायाम करें
वज़न प्रबंधन करें
धूम्रपान से बचें
शराब का सेवन सीमित करें
तनाव का प्रबंधन करें
दवाइओं के अति प्रयोग से बचें
जोखिम कारकों के बारे में जानकारी रखें
नियमित जांच कराएं
चिकित्सीय सलाह का पालन करें
गठिया रोग दिवस