
ऋषिकेश। 02 फरवरी, 2025
सांस फूलने और बार-बार चक्कर आने की वजह से 71 साल के एक वृद्ध का जीवन संकट में आ गया। इलाज के लिए कई अस्पतालों के चक्कर भी काटे, लेकिन हर बार डाॅक्टरों के सामने मरीज की उम्र और बीमारी की गंभीरता चुनौती बन जाती। एम्स ऋषिकेश के चिकित्सकों ने रोगी के दिल में बिना तार का (लीडलेस) पेसमेकर प्रत्यारोपित कर न केवल उनका जीवन बचाया, बल्कि एम्स ऋषिकेश में पहली बार इस तरह की सर्जरी कर रिकाॅर्ड भी बना दिया है। रोगी अब स्वस्थ है और उनको एम्स से छुट्टी दे दी गई है।
बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के बुजुर्ग एम्स ऋषिकेश पहुंचे थे। संस्थान के कार्डियोलाॅजिस्ट विशेषज्ञ डाॅ. बरूण कुमार ने रोगी के स्वास्थ्य की विभिन्न जाचें कराईं और पाया कि रोगी के दिल ने सही ढंग से काम करना बंद कर दिया है। इस वजह से उनकी धड़कनें भी अत्यंत धीमी हो गई हैं। रोगी को बार-बार चक्कर आने की शिकायत के साथ ही थकान व कमजोरी महसूस करना, सीने में दर्द और सांस लेने में तकलीफ होने की समस्या थी।
डाॅ. बरूण ने बताया कि रोगी का जीवन बचाने के लिए जरूरी था कि उनके हृदय में समय रहते पेस मेकर लगाया जाए। उम्र ज्यादा होने के कारण ऐसे मामलों में सर्जरी करना अत्यन्त जोखिम भरा निर्णय होता है।
उन्होंने बताया कि इन हालातों में रोगी और उनके परिवार वालों की काउंसिलिंग कर उन्हें लीडलेस पेसमेकर लगाने की सलाह दी गई और जोखिम उठाकर 19 जनवरी को रोगी के दिल में पेसमेकर प्रत्यारोपित कर दिया गया।
डाॅ. बरूण ने बताया कि यदि सर्जरी में विलंम्ब होता तो रोगी की मानसिक चेतना में परिवर्तन होने के अलावा बेहोशी के कारण नीचे गिरने पर उनकी कभी भी कार्डियक डेथ होने का खतरा बना था।
सर्जरी करने वाली डाॅक्टरों की टीम में डाॅ. बरूण कुमार के अलावा डाॅ. कनिका कुकरेजा, डॉ. किशन, डॉ. रूपेंद्र नाथ साहा और काॅर्डियोलाॅजी विभाग के डॉ. आकाश आदि शामिल थे।
लीडलेस पेसमेकर के लाभ
- कोई लीड नहीं होने से संक्रमण और जटिलताओं का कम खतरा
- तेजी से रिकवरी के साथ न्यूनतम आक्रामक और सिंगल-चेंबर ब्रैडीकार्डिया (Bradycardia) वाले रोगियों के लिए उपयुक्त
- छोटा चीरा
- लंबी बैटरी लाइफ (10-15 वर्ष)
- जटिल पेसिंग आवश्यकताओं (एकल या दोहरे कक्ष) के लिए अधिक बहुमुखी
- पल्स जनरेटर के लिए त्वचा के नीचे मात्र एक जेब की आवश्यकता
’’ कार्डियोलाॅजी विभाग के डाॅक्टरों का यह कार्य प्रशंसनीय है। असामान्य धड़कन वाले हृदयरोगियों के लिए बिना तार वाले पेसमेकर को प्रत्यारोपित करना एक क्रांतिकारी उपचार है। पारंपरिक पेसमेकर्स के विपरीत यह छोटे उपकरण सीधे दिल में प्रत्यारोपित किए जाते हैं। हृदय रोगियों के बेहतर इलाज के लिए एम्स में विश्व स्तरीय तकनीक आधारित कैथ लेब की सुविधा भी है। हृदय रोग से ग्रसित रोगियों को एम्स की इस सुविधा का लाभ उठाना चाहिए।’’
प्रो. मीनू सिंह, कार्यकारी निदेशक, एम्स ऋषिकेश