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उत्तराखंड के इस कम्युनिटी रेडियो को मिला राष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार

आइजोल में देश के 500वें सामुदायिक रेडियो स्टेशन का उद्घाटन

This community radio of Uttarakhand got national level award

नई दिल्ली। न्यूज लाइव ब्यूरो

केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दसवें राष्ट्रीय सामुदायिक रेडियो पुरस्कार (Community Radio Award) विजेताओं की घोषणा की। मंत्री ने केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन और मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा की उपस्थिति में भारत के 500वें सामुदायिक रेडियो स्टेशन का भी उद्घाटन किया। ‘अपना रेडियो 90.0 एफएम’ स्टेशन भारतीय जनसंचार संस्थान, आइजोल द्वारा संचालित है।

भारत की सामुदायिक रेडियो यात्रा में इस घटना की जानकारी देते हुए, केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने कहा कि यह पहल अपना रेडियो स्टेशन के कवरेज क्षेत्र में लोगों के जीवन में एक बड़ा बदलाव लाएगी।

मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आईआईएमसी आइजोल में अपना रेडियो स्टेशन राज्य के लिए संचार में एक नया अध्याय लिखेगा। कृषि क्षमता काफी अधिक होने के कारण मिजोरम मुख्य रूप से कृषि प्रधान राज्य है। किसान समुदाय के लिए सामुदायिक रेडियो स्टेशन की स्थापना करना बेहद फायदेमंद होगा, क्योंकि इससे उन्हें मौसम की दैनिक जानकारी, सरकारी योजनाएं और कृषि संबंधी जानकारी मिलेगी। उन्होंने इस परियोजना को वास्तविकता में बदलने में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और अन्य सभी हितधारकों की उनके अटूट समर्थन और समर्पण के लिए सराहना की।

केन्द्रीय राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन ने ऐसे स्टेशनों की सामाजिक रूप से लाभकारी प्रकृति पर प्रकाश डाला और कहा कि निजी रेडियो चैनलों की व्यावसायिक प्रकृति के विपरीत, सामुदायिक रेडियो स्टेशन अंतिम छोर तक सूचना के प्रसार के प्रति प्रतिबद्धता के कारण स्थापित किए गए हैं। उन्होंने आगे कहा कि प्राकृतिक आपदा के समय इन स्टेशनों की भूमिका काफी बढ़ जाती है।

इस अवसर पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय सचिव संजय जाजू ने कहा कि सामुदायिक रेडियो स्टेशन कृषि, किसान कल्याण के लिए सरकारी योजनाओं, मौसम संबंधी जानकारी आदि से संबंधित सूचनाओं के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये एक अनूठा मंच प्रदान करते हैं, जहां वैकल्पिक आवाजें सुनी जा सकती हैं और स्थानीय बोलियों और क्षेत्रीय भाषाओं में सामग्री वितरित की जाती है। ये सामुदायिक रेडियो समाज के गरीब और हाशिए पर पड़े वर्ग के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं, जिनकी मुख्यधारा के मीडिया तक पहुंच नहीं है।

उन्होंने कहा कि मंत्रालय देश भर में सामुदायिक रेडियो स्टेशनों के विकास को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता पर अडिग है।

आईआईएमसी की कुलपति डॉ. अनुपमा भटनागर ने कहा कि ‘अपना रेडियो 90.0 एफएम’ का उद्घाटन मिजोरम के इतिहास में एक नया अध्याय है, जो संवाद के माध्यम से समुदायों को एक साथ लाएगा, स्थानीय संस्कृति को प्रदर्शित करेगा, नागरिकों को बढ़ावा देगा और उन्हें सशक्त बनाएगा।

10वें राष्ट्रीय सामुदायिक रेडियो पुरस्कार विजेता

श्रेणी: विषयगत पुरस्कार

  • प्रथम पुरस्कार: रेडियो मयूर, जिला सारण, बिहार, कार्यक्रम: टेक सखी के लिए
  • द्वितीय पुरस्कार: रेडियो कोच्चि, केरल कार्यक्रम: निरंगल के लिए
  • तृतीय पुरस्कार: हेलो दून, देहरादून, उत्तराखंड कार्यक्रम : मेरी बात के लिए

श्रेणी: सर्वाधिक नवीन सामुदायिक सहभागिता पुरस्कार

  • · प्रथम पुरस्कार: यरलावानी सांगली, महाराष्ट्र कार्यक्रम के लिए: कहानी सुनंदाची
  • · द्वितीय पुरस्कार: वायलागा वनोली, मदुरै, तमिलनाडु को कार्यक्रम: आइए एक नया मानदंड बनाएं के लिए
  • · तृतीय पुरस्कार: सलाम नमस्ते नोएडा, उत्तर प्रदेश कार्यक्रम के लिए: नौकरानी दीदी

 

श्रेणी: स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए पुरस्कार

  • · प्रथम पुरस्कार: रेडियो ब्रह्मपुत्र, डिब्रूगढ़, असम, कार्यक्रम: इगारेकुन
  • · दूसरा पुरस्कार: रेडियो कोटागिरी, नीलगिरी, तमिलनाडु, कार्यक्रम : एन मक्कलुडन ओरु पायनम
  • · तृतीय पुरस्कार: रेडियो एक्टिव, भागलपुर बिहार, कार्यक्रम : अंग प्रदेश की अद्भुत धरोहर

श्रेणी: स्थिरता मॉडल पुरस्कार

  • · प्रथम पुरस्कार: बिशप बेंज़िगर हॉस्पिटल सोसाइटी, कोल्लम, केरल द्वारा संचालित रेडियो बेंज़िगर
  • · द्वितीय पुरस्कार: यंग इंडिया द्वारा संचालित रेडियो नमस्कार, कोणार्क, ओडिशा
  • · तृतीय पुरस्कार: शरणबस्बेस्वरा विद्या वर्धक संघ द्वारा संचालित रेडियो अंतरवाणी, गुलबर्गा, कर्नाटक

मंत्रालय ने सामुदायिक रेडियो स्टेशनों (सीआरएस) के बीच नवाचार और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करने के लिए वर्ष 2011-12 में राष्ट्रीय सामुदायिक रेडियो पुरस्कारों की शुरुआत की थी।

राष्ट्रीय सामुदायिक रेडियो पुरस्कार आम तौर पर हर साल प्रदान किए जाते हैं। इसी कड़ी में मंत्रालय ने आज निम्नलिखित 4 श्रेणियों में 10वें राष्ट्रीय सामुदायिक रेडियो पुरस्कार विजेताओं की घोषणा की है

  1. विषयगत पुरस्कार
  2. सर्वाधिक नवोन्मेषी सामुदायिक सहभागिता पुरस्कार
  3. स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु पुरस्कार
  4. स्थिरता मॉडल पुरस्कार

प्रत्येक श्रेणी में प्रथमद्वितीय और तृतीय पुरस्कार क्रमशः 1.0 लाख रुपये, 75,000 रुपये और 50,000 रुपये हैं।


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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर मानव भारती संस्था में सेवाएं शुरू कीं, जहां बच्चों के बीच काम करने का अवसर मिला। संस्था के सचिव डॉ. हिमांशु शेखर जी ने पर्यावरण तथा अपने आसपास होने वाली घटनाओं को सरल भाषा में कहानियों के माध्यम से प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित किया। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। जब भी समय मिलता है, अपने मित्र मोहित उनियाल व गजेंद्र रमोला के साथ पहाड़ के गांवों की यात्राएं करता हूं। ‘डुगडुगी’ नाम से एक पहल के जरिये, हम पहाड़ के विपरीत परिस्थितियों वाले गांवों की, खासकर महिलाओं के अथक परिश्रम की कहानियां सुनाना चाहते हैं। वर्तमान में, गांवों की आर्थिकी में खेतीबाड़ी और पशुपालन के योगदान को समझना चाहते हैं। बदलते मौसम और जंगली जीवों के हमलों से सूनी पड़ी खेती, संसाधनों के अभाव में खाली होते गांवों की पीड़ा को सामने लाने चाहते हैं। मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए ‘डुगडुगी’ नाम से प्रतिदिन डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे। यह स्कूल फिलहाल संचालित नहीं हो रहा है। इसे फिर से शुरू करेंगे, ऐसी उम्मीद है। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी वर्तमान में मानव भारती संस्था, देहरादून में सेवारत संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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