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सर्दियों में अदरक वाली चाय दूर करती है तनाव

In winters, ginger tea relieves stress

न्यूज लाइव डेस्क

सर्दियों में अदरक वाली चाय मिल जाए तो क्या कहने। भोजन में अदरक सेहत के लिए खास है। खाना पचाने में सहायक अदरक का घर दक्षिण पूर्व एशिया, विशेष रूप से भारत और चीन हैं। यह ज़िंगिबेरासी परिवार से संबंधित है, जिसमें हल्दी और इलायची जैसे अन्य सुगंधित मसाले शामिल हैं।

हजारों वर्ष पहले का इतिहास समेटे अदरक को भोजन के साथ औषधीय महत्व भी है। प्राचीन चीनी, भारतीय और मध्य पूर्वी सभ्यताएँ अदरक को उसके स्वाद, सुगंध और औषधीय गुणों के लिए महत्व देती थीं। इसका व्यापार  मसाला मार्गों (Spice routes) पर किया जाता था।

अदरक को भूमध्यसागरीय क्षेत्र में यूनानी और रोमन लाए थे, जिन्होंने इसका उपयोग खाना पकाने और इसके औषधीय गुणों के लिए किया था। मध्य युग के दौरान इसने यूरोप में लोकप्रियता हासिल की और यूरोपीय व्यंजनों, विशेष रूप से मिठाइयों और बेक किए गए सामानों में शामिल होने लगी।

अदरक का उपयोग पारंपरिक रूप से मतली, अपच और सूजन जैसी विभिन्न बीमारियों को कम करने के लिए किया जाता रहा है। कुछ संस्कृतियों में यह भी माना जाता था कि इसमें कामोत्तेजक गुण होते हैं।

एक रिपोर्ट में बताया गया कि अदरक न केवल पाचन में सहायक है, बल्कि मतली को कम करती है, दर्द से राहत देती है और प्रतिरक्षा को बढ़ाती है।

अदरक पारंपरिक रूप से पेट की समस्याओं को ठीक करने के लिए जानी जाती है। अदरक मतली को कम करने के लिए अच्छी है, क्योंकि यह पेट की परेशानी को कम करने में मदद करती है। अदरक के अधिक मात्रा में सेवन से दस्त या शरीर में गर्मी भी पैदा कर सकती है।

मांसपेशियों में दर्द को रोकने में अदरक सहायता कर सकती है। अपने एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण यह दर्द और परेशानी से राहत दिलाती है।

ताजा अदरक की चाय पीना कई लोगों के लिए प्रतिरक्षा बढ़ाने का एक सुरक्षित तरीका है। रोजाना अदरक का सेवन प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है और फ्लू या सामान्य सर्दी के खिलाफ ढाल के रूप में कार्य करता है। तनाव दूर करने के उपाय के तौर पर अदरक की चाय का आनंद लें। सूजन रोधी एजेंट के रूप में उपयोग किए जाने वाली औषधियों में अदरक सबसे पुराने यौगिकों में से एक है। अदरक के उपयोग से कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा भी कम हो सकता है।

कई समाजों में अदरक का सांस्कृतिक महत्व है। इसका उपयोग आयुर्वेद और पारंपरिक चीनी चिकित्सा (टीसीएम) जैसी पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों में किया जाता है। इसके अतिरिक्त, अदरक उन देशों में विभिन्न सांस्कृतिक अनुष्ठानों और समारोहों में एक भूमिका निभाता है, जहां इसे उगाया और खाया जाता है।

कुल मिलाकर, अदरक का इतिहास इसकी बहुमुखी गुणों का प्रमाण है, मसाले और औषधि के रूप में इसके प्राचीन उपयोग से लेकर आधुनिक व्यंजनों और स्वास्थ्य प्रथाओं में इसकी निरंतर लोकप्रियता तक।

  • अदरक को औषधीय महत्व से सेवन करने से पहले चिकित्सीय सलाह आवश्यक है। यह लेख अदरक के बारे में जानकारियों का संकलन मात्र है।

Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर मानव भारती संस्था में सेवाएं शुरू कीं, जहां बच्चों के बीच काम करने का अवसर मिला। संस्था के सचिव डॉ. हिमांशु शेखर जी ने पर्यावरण तथा अपने आसपास होने वाली घटनाओं को सरल भाषा में कहानियों के माध्यम से प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित किया। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। जब भी समय मिलता है, अपने मित्र मोहित उनियाल व गजेंद्र रमोला के साथ पहाड़ के गांवों की यात्राएं करता हूं। ‘डुगडुगी’ नाम से एक पहल के जरिये, हम पहाड़ के विपरीत परिस्थितियों वाले गांवों की, खासकर महिलाओं के अथक परिश्रम की कहानियां सुनाना चाहते हैं। वर्तमान में, गांवों की आर्थिकी में खेतीबाड़ी और पशुपालन के योगदान को समझना चाहते हैं। बदलते मौसम और जंगली जीवों के हमलों से सूनी पड़ी खेती, संसाधनों के अभाव में खाली होते गांवों की पीड़ा को सामने लाने चाहते हैं। मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए ‘डुगडुगी’ नाम से प्रतिदिन डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे। यह स्कूल फिलहाल संचालित नहीं हो रहा है। इसे फिर से शुरू करेंगे, ऐसी उम्मीद है। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी वर्तमान में मानव भारती संस्था, देहरादून में सेवारत संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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