क्या आपने कभी ऐसी टोपी देखी है
डोईवाला। क्या आपने कभी ऐसी टोपी देखी है। आप इसे कोई भी नाम दो। मेरे लिए तो यह टोपी है, वो भी जानदार टोपी, सिर को बचाने वाली टोपी, यानी हेलमेट टोपी। आप बताओ, इसमें, मैं कैसा लग रहा हूं। इसको बनाया है भवन निर्माण श्रमिक अवनीश कुमार ने।
कहते हैं आवश्यकता अविष्कार की जननी है। भवन निर्माण श्रमिक अवनीश कुमार ने सीमेंट के खाली बैग से एक ऐसी टोपी बनाई है, जिससे उनके सिर पर बोझ का सीधा असर नहीं पड़ेगा। वो सिर पर ईंटें हों या फिर रेत बजरी से भरा तसला, आसानी से ढो लेते हैं। तभी तो अवनीश बड़े गर्व से कहते हैं, इसे मैंने खुद से सीखा है…।
हमने अवनीश कुमार से कहा, क्या वो हमारे सामने ऐसी टोपी बना सकते हैं। उन्होंने जवाब दिया, बस दो मिनट में बना सकता हूं।
उन्होंने अपने साथियों से सीमेंट के दो खाली बैग्स और लोहे की बारीक तार मंगाए।
बस फिर क्या था, अवनीश ने टोपी बनाना शुरू कर दिया। दो मिनट से भी कम समय में उन्होंने यह टोपी बना दी।
मुस्कुराते हुए बताते हैं, उन्होंने इसे बनाना खुद से सीखा है।इसे लगाने से बोझ रखने से सिर पर जोर नहीं पड़ता। यह बहुत काम की है।