राजेश पांडेय। न्यूज लाइव ब्लॉग
देहरादून के माजरा का मोहल्ला ब्रह्मपुरी, जहां एम्पावर सोसाइटी की शाम की क्लास ऊर्जा कार्यक्रमः भविष्य की नींव के नाम से चलती है। यहां बेटे और बेटियों की पढ़ाने की जिम्मेदारी कक्षा 12वीं के छात्र समीर की है। उनके साथ, छोटी बहन सना बच्चों को व्यवस्थित करने, उनको शरारतें करने से रोकने, क्लास में शांत होकर बैठने में मदद करती हैं। सना सातवीं कक्षा की छात्रा हैं। यहां अलग-अलग शिफ्ट में 60 बच्चे पढ़ते हैं। इस क्लास में बच्चों को पढ़ाने के लिए वॉलियंटर्स भी आते हैं।
एम्पावर सोसाइटी की संस्थापक एवं सचिव मोनीदीपा सरमा ने डुगडुगी की टीम को बच्चों को कहानियां सुनाने के लिए बुलाया था। एक्टीविस्ट मोहित उनियाल, शुभम काम्बोज और सक्षम पांडेय के साथ शनिवार शाम करीब साढ़े चार बजे हम ब्रह्मपुरी इलाके में थे। निरंजनपुर सब्जी मंडी के सामने दूसरी ओर ब्रह्मपुरी मोहल्ला है।
ब्रह्मपुरी में शमीम, जो अपना ऑटोरिक्शा चलाते हैं, के मकान की छत पर बच्चे हमारा इंतजार कर रहे थे। पंक्तिबद्ध होकर बैठे बच्चों ने हमारा स्वागत किया। उन्होंने स्टोरी टेलिंग सेशन के लिए रंग बिरंगे गुब्बारे बांधे हुए थे, एक पोस्टर पर लिखा था, “वेलकम राजेश सर”। मन को बड़ी खुशी मिलती है, जब कोई आपका सम्मान करता हो। जानते हैं ये बच्चे किस क्लास में पढ़ते हैं, ये हैं यूकेजी से लेकर कक्षा आठ तक के छात्र-छात्राएं। वाह, पढ़ाई को लेकर उनका रुझान देखकर मेरे मन में केवल एक बात ही आई, वो यह कि इन सभी बच्चों का भविष्य बहुत उज्ज्वल है।
यूकेजी में पढ़ने वाली मुस्कान बताती हैं, वो यहां रोज आती हैं। उनको कविता आती है, गाना आता है और सबसे अच्छा डांस करती हैं। उनको अंग्रेजी पढ़ना अच्छा लगता है। कहती हैं, क्या मैं डांस करूं। हमने पूछा, गाना कौन सा पसंद है। कहती हैं, माची माची हांडु… पर डांस करेंगी। सच बताऊं यह गाना मैंने पहली बार सुना है।
मुस्कान से पूछा, क्या बनना चाहते हो। उन्होंने कहा, मैं डॉक्टर बनना चाहती हूं। यह सुनते ही मेरे मुंह से निकला, वाह… बेटा आप जो चाहते हो, आपके सपने जरूर पूरे होंगे। आप डॉक्टर बनोगे। वास्तव में जीवन में कुछ बनने से पहले यह तय करना जरूरी होता है कि आप क्या करना चाहते हो। एक और बिटिया ने कहा, मैं भी डॉक्टर बनना चाहती हूं। इन नन्हीं बिटिया में सपने जगाए हैं उनको पढ़ाने वाले समीर और सना ने। इनकी कल्पना, इनके सपने को यर्थार्थ में बदलने के लिए उड़ान चाहिए और सही दिशा में ऊंची उड़ान के लिए मजबूत पंखों की जरूरत है। मजबूत पंख लगाने की जिम्मेदारी परिवार की ही नहीं है, बल्कि हम सभी की भी है।
शुरू हुआ कहानी सुनाने का दौर…
हमने पेड़ घूमने क्यों नहीं जाता, पेड़ घूमने जाता तो क्या होता, पेड़ हमें क्या देता है, जैसे सवालों के साथ बच्चों से संवाद किया। बच्चों ने शानदार जवाब दिए, उन्होंने कहा, पेड़ घूमते हैं। हम जब भी बस या ट्रेन से कहीं जाते हैं तो पेड़ पीछे की ओर दौड़ते हुए दिखते हैं। जितनी तेज हमारी गाड़ी चलती है, उतनी ही तेजी से पेड़ दूसरी दिशा में दौड़ते दिखते हैं। पर, हमारी गली में कोई पेड़ कभी घूमता हुआ नहीं दिखा। अगर पेड़ ऐसा करने लगे तो हमारी सड़क ही टूट जाएगी। एक बिटिया आरिफा ने कहा, पेड़ इसलिए घूमने नहीं जाता, क्योंकि वो हमें ऑक्सीजन देता है। ये सभी मेधावी बच्चे… हमारे हर सवाल का जवाब देने के लिए आतुर दिखाई दिए। वो बहुत खुश दिखे कि कोई उनको कहानी सुनाने से ज्यादा सवाल पूछने में रूचि दिखा रहा है।
मोहम्मद उमर कक्षा दो में पढ़ते हैं, पर कॉमेडी और कहानी सुनाने का उनका अंदाज बहुत निराला है। पढ़ाई में होशियार हैं और बातें बनाना उनको बहुत अच्छे से आता है। उन्होंने कॉमेडी करते हुए शानदार एक्टिंग की, सभी बच्चे हंसने लगे।
हमने बच्चों को दो कहानियां सुनाई, एक कहानी अपनी लिखी हुई, वो है- पेड़ घूमने क्यों नहीं जाता। दूसरी लोककथा, जो अफ्रीका में खूब सुनाई जाती है। यह एक जादुई अंडे और एक बिटिया की कहानी है। कहानी सुनाते समय बच्चों से संवाद हो रहा था।
एम्पावर सोसाइटी की संस्थापक एवं सचिव मोनीदीपा सरमा बताती हैं, ऊर्जा कार्यक्रमः भविष्य की नींव की इस क्लास में 60 बच्चे पढ़ते हैं। ये सभी बच्चे स्कूल जाते हैं और शाम को यहां पढ़ते हैं। समीर और सना इनको पढ़ाते हैं और व्यवस्थित करते हैं। हमारा उद्देश्य बच्चों में उज्ज्वल भविष्य की नींव डालनी हैं, उनको पढ़ाई लिखाई से जोड़ना है। हम कौशल विकास से जुड़ी गतिविधियां, जैसे मेहंदी लगाना, ब्यूटीशियन कोर्स, सिलाई सिखाना भी कराते हैं।
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