Analysis

व्यंग्य भी बढ़ाता है आपकी क्रियेटिविटी को 

व्यंग्य के भी कुछ एेसे फायदे होते हैं, जिनकी कभी आपने अपेक्षा न की हो। शोध और अध्ययन बताते हैं कि अगर एक दूसरे को अच्छी तरह जानने वाले लोग आपस में बिना पूर्वाग्रह के हंसी मजाक में कटाक्ष करें तो कभी कभी यह स्थिति किसी को भी नया मुकाम हासिल करने के लिए प्रेरित कर सकती है। मनोवैज्ञानिकों के शोध अध्ययन बताते हैं कि व्यंग्य या ताना कसना रचनात्मकता को बढ़ाता है न कि यह सिर्फ एक मानसिक उत्पाद है।

यह बात इस प्रकार के प्रयोग से प्रमाणित हुई है। कुछ लोगों को तीन अलग-अलग स्थितियों में रखा गया। यह स्थितियां उदासीन, व्यंग्यपूर्ण और गंभीर वातावरण वाली थीं। इन लोगों की अलग-अलग वातावरण में आपस में वार्ता कराई गई। इस पूरे प्रयोग का रिजल्ट यह रहा कि जिन लोगों को व्यंग्यपूर्ण वातावरण में रखा गया था, उन्होंने गंभीरता पूर्वक काम करने वालों की बजाय ज्यादा क्रियेटिविटी के साथ बेहतर काम किया। इससे यह निष्कर्ष सामने आता है कि किसी भी इंसान में क्रियेटिविटी को प्रोत्साहित करने के लिए तंज कसना, आलोचना करना जरूरी हो सकता है, लेकिन ये लोग एक दूसरे को अच्छी तरह जानते हों और व्यंग्य सौहार्द्रपूर्ण हों।

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शोध का प्रमुख निष्कर्ष यह भी रहा कि जो लोग जन्म से रचनात्मक हैं, उन पर व्यंग्य कसने से उनकी क्षमता और बेहतर हो गई। यहां यह बात स्पष्ट है कि जो लोग विश्वास के रिश्ते में बंधे हैं, उन लोगों में ही व्यंग्य या तंज कसने के वार्तालाप से बेहतर क्षमता वृद्धि हो सकती है। एक दूसरे पर पूर्ण विश्वास करने वाले लोग व्यंग्यपूर्ण वातावरण में ज्यादा बेहतर काम कर सकते हैं। वहीं जहां लोग एक दूसरे को नहीं जानते हों या उनके बीच विश्वास और सौहार्द्र का रिश्ता न हो, वहां व्यंग्य करने से बचना चाहिए।

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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