Analysiscurrent AffairsenvironmentFeaturedfood

गेहूं और चावल में कम होते जा रहे पोषक तत्व

गेहूँ और चावल जैसे अनाज दुनियाभर के लोगों के भोजन का अहम हिस्सा हैं। लेकिन, विश्व की बहुसंख्य आबादी की थाली में शामिल इन अनाजों के पोषक तत्वों में गिरावट हो रही है। भारतीय शोधकर्ताओं के एक नये अध्ययन में यह बात उभरकर आई है।

यह अध्ययन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और बिधान चंद्र कृषि विश्वविद्यालय से संबद्ध विभिन्न संस्थानों के शोधकर्ताओं ने किया है।

यह माना जाता है कि चावल की खेती करीब 10 हजार वर्ष पहले शुरू हुई थी, जो अब दुनिया के तीन अरब से अधिक लोगों के भोजन का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है। लेकिन, कृषि वैज्ञानिकों ने पाया है कि चावल में आवश्यक पोषक तत्वों का घनत्व अब उतना नहीं है, जितना कि 50 साल पहले खेती से प्राप्त चावल में होता था।

शोधकर्ताओं ने पाया है कि भारत में उपजाए जाने वाले चावल और गेहूँ में जस्ता एवं लोहे के घनत्व में कमी आई है।

आईसीएआर-राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, चिनसुराह चावल अनुसंधान केंद्र और आईसीएआर-भारतीय गेहूँ एवं जौ अनुसंधान संस्थान में स्थित जीन बैंक से प्राप्त चावल की 16 किस्मों और गेहूँ की 18 किस्मों के बीजों का विश्वलेषण करने के बाद शोधकर्ता इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं।

ये नोडल संस्थान भारत की पुरानी फसल किस्मों को संरक्षित और संग्रहित करते हैं। ये संस्थान आनुवंशिक सामग्री के भंडार हैं।

इस अध्ययन के लिए, एकत्रित किए गए बीजों को प्रयोगशाला में अंकुरित किया गया, गमलों में बोया गया, और फिर बाहरी वातावरण में रखा गया है। पौधों को आवश्यक उर्वरकों से उपचारित किया गया, और फिर कटाई के बाद प्राप्त बीजों का विश्लेषण किया गया।

शोधकर्ताओं ने पाया कि 1960 के दशक में जारी चावल की किस्मों के अनाज में जिंक और आयरन का घनत्व 27.1 मिलीग्राम / किलोग्राम और 59.8 मिलीग्राम / किलोग्राम था। यह मात्रा वर्ष 2000 के दशक में घटकर क्रमशः 20.6 मिलीग्राम/किलोग्राम और 43.1 मिलीग्राम/किलोग्राम हो गई।

1960 के दशक में गेहूँ की किस्मों में जिंक और आयरन का घनत्व 33.3 मिलीग्राम / किलोग्राम और 57.6 मिलीग्राम / किलोग्राम था। जबकि, वर्ष 2010 में जारी की गई गेहूँ की किस्मों में जिंक एवं आयरन की मात्रा घटकर क्रमशः 23.5 मिलीग्राम / किलोग्राम और 46.5 मिलीग्राम / किलोग्राम रह गई।

इस अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता सोवन देबनाथ, जो बिधान चंद्र कृषि विश्वविद्यालय में डॉक्टरेट शोधार्थी और आईसीएआर के वैज्ञानिक हैं, बताते हैं कि “खाद्यान्नों में इस तरह की कमी के कई संभावित कारण हो सकते हैं, इनमें से एक ‘डाइल्यूशन इफेक्ट’ है, जो अनाज की उच्च उपज की प्रतिक्रिया में पोषक तत्वों के घनत्व में कमी के कारण होता है। इसका मतलब यह है कि उपज में वृद्धि दर की भरपाई पौधों द्वारा पोषक तत्व लेने की दर से नहीं होती है।”

जिंक और आयरन की कमी विश्व स्तर पर अरबों लोगों को प्रभावित करती है। आबादी में जिंक और आयरन की कमी से जूझ रहे ऐसे देशों में मुख्य रूप से चावल, गेहूँ, मक्का और जौ से बने आहार का सेवन किया जाता है।

हालांकि, भारत सरकार ने स्कूली बच्चों को पूरक गोलियां उपलब्ध कराने जैसी पहल की है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। बायोफोर्टिफिकेशन जैसे अन्य विकल्पों पर भी ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है, जिसके द्वारा सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य फसलों का उत्पादन किया जा सकता है।

यह अध्ययन हाल में शोध पत्रिका एन्वायरमेंटल एंड एक्सपेरिमेंटल बॉटनी में प्रकाशित किया गया है। शोधकर्ताओं में सोवन देबनाथ के अलावा बिधान चंद्र कृषि विश्वविद्यालय के शोधकर्ता बिस्वपति मंडल, सुष्मिता साहा, दिब्येंदु सरकार, कौशिक बातबयल, सिद्धू मुर्मू, एवं तुफलेउद्दीन बिस्वास; ऑल इंडिया कॉऑर्डिनेटेड रिसर्च प्रोजेक्ट ऑन व्हीट एंड बार्ली इम्प्रूवमेंट के धीमान मुखर्जी और राष्ट्रीय चावल अनुसंधान केंद्र, कटक के भास्कर चंद्र पात्रा शामिल हैं।- इंडिया साइंस वायर

Keywords:- Rice and wheat cultivars in India, Grain density of Fe and Zn, Zinc and iron deficiency, Global health problem, Low-income countries, High-yielding cultivars of rice, Environmental and Experimental Botany, Cereals, Cultivars, Green revolution
Zinc

ई बुक के लिए इस विज्ञापन पर क्लिक करें

Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker