animalscurrent AffairsenvironmentFeatured

विश्व प्रवासी पक्षी दिवस: गाओ, ऊंची उड़ान भरो- एक पक्षी की तरह

कुछ पक्षी ऐसे भी हैं, जिनकी गतिविधियां और व्यवहार मौसमी बदलावों की पहचान कराती हैं। कोविड-19 महामारी के कारण एक बार फिर मनुष्य प्रकृति की तरफ अग्रसर हुआ है। यह महामारी मानव जाति के लिए अभूतपूर्व चुनौती है। लेकिन, महामारी के इस दौर ने पक्षियों के प्रति जागरूकता और उनके कल्याण के लिए प्रकृति के महत्व को उजागर किया है।
पक्षियों की कई प्रजाति विलुप्त हो रही हैं। उनके संरक्षण के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समय-समय पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहा है। पक्षियों के संरक्षण के लिए वैश्विक स्तर पर मनाया जाने वाला विश्व प्रवासी पक्षी दिवस इसकी बानगी कहा जा सकता है।
इस दिवस का मुख्य उद्देश्य प्रवासी पक्षियों के प्रति वैश्विक समुदाय में जागरूकता पैदा करना और उनके बचाव के लिए जरूरी उपाय तलाशने एवं उनकी आवश्यकता पर बल देना है।
विश्व प्रवासी पक्षी दिवस मनाने की कोई निश्चित तारीख नही है। इसे साल में दो बार मई और अक्तूबर महीने के दूसरे शनिवार को मनाया जाता है।
इंडिया साइंस वायर में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, 1993 में पहली बार अमेरिका में विश्व प्रवासी पक्षी दिवस मनाया गया। यह दिन पश्चिमी दुनिया में सफलतापूर्वक मनाया जा रहा था। लेकिन, दुनिया के बाकी हिस्सों में इसे नहीं मनाया जा रहा था। इसके बाद से प्रवासी पक्षियों के लिए एक दिन निश्चित किए जाने का विचार किया गया।
वर्ष 2006 में अफ्रीकी-यूरेशियन माइग्रेटरी वॉटरबर्ड्स (एईडब्ल्यूए) और वन्यजीवों की प्रवासी प्रजातियों (सीएमएस) के सचिवालय के सहयोग से हर वर्ष विश्व प्रवासी पक्षी दिवस की शुरुआत हुई।
हर वर्ष इसकी एक अलग थीम होती है। वर्ष 2021 की थीम सिंग, फ्लाई सोर-लाइक ए बर्ड है। इसका मतलब है कि गाओ, ऊंची उड़ान भरो- एक पक्षी की तरह। अधिकांश पक्षी कभी भी एक जगह नहीं ठहरते, और बदलते मौसम के अनुरूप से वे एक से दूसरे राज्य में प्रवास करते रहते हैं। पक्षियों की कई प्रजातियां तो ऐसी हैं, जो हजारों मील का सफर तय करके दूसरे देश पहुँच जाती हैं।
इसके अलावा, पक्षी अपने बच्चों के पालन-पोषण के लिए सर्वोत्तम परिस्थितियों और आवास की तलाश में सैकड़ों और हजारों किलोमीटर का सफर तय करते हैं।
ज्यादातर पक्षी उत्तरी क्षेत्र से दक्षिणी मैदानों की ओर पलायन करते हैं। हालांकि, कुछ पक्षी अफ्रीका के दक्षिणी भागों में प्रजनन करते हैं, और सर्दियों में तटीय जलवायु का आनंद लेने के लिए प्रवास पर मैदानों की ओर निकल पड़ते हैं।
अन्य पक्षी सर्दियों के महीनों के दौरान मैदानी क्षेत्र में रहते हैं, और गर्मियों में पहाड़ों की ओर चले जाते हैं।
प्रवासी पक्षियों को कई खतरों का भी सामना करना पड़ता है, जिसमें मुख्य रूप से प्रदूषण को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। प्रदूषण से न केवल स्थानीय पक्षी प्रभावित होते हैं, बल्कि इससे प्रवासी पक्षियों के लिए संकट खड़ा हो रहा है।
प्रदूषण के कारण पक्षियों का जीवन बेहद मुश्किल हो जाता है, और इससे पक्षियों को अपने प्रवास को सफलतापूर्वक पूरा करना कठिन हो जाता है। इसके साथ ही, पक्षियों का अवैध शिकार भी एक गंभीर समस्या है।
हर साल बड़ी संख्या में पक्षियों को अपने प्रवास के बीच भुखमरी का सामना करना पड़ता है। अपर्याप्त भोजन के कारण अधिकतर पक्षी मौत का शिकार हो जाते हैं।
प्रवासी पक्षियों के संरक्षण के लिए विश्व प्रवासी पक्षी दिवस साल में दो बार मनाया जाता है।
वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड के अनुसार भोजन और संसाधनों की खपत में वृद्धि ने पक्षियों के प्राकृतिक आवास को नुकसान पहुँचाया है, और इसमें विकासात्मक गतिविधियों की अहम भूमिका है।
लिविंग प्लेनेट इंडेक्स की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 1970 से 2016 की अवधि में पशु एवं पक्षियों की आबादी में 68 प्रतिशत की गिरावट हुई है।
आर्द्रभूमि प्रवासी पक्षियों की गर्म प्रजनन स्थल मानी जाती है। लेकिन, ढांचागत संरचनाओं और विकासात्मक गतिविधियों में वृद्धि के साथ आर्द्रभूमि तेजी से समाप्त हो रही हैं। यह बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों की आबादी को प्रभावित कर रहा है।
हर साल भारत में विभिन्न प्रजाति के पक्षियों का प्रवास होता है। भारत आने वाले प्रवासी पक्षियों में साइबेरियन क्रेन, ग्रेटर फ्लेमिंगो, रफ, ब्लैक विंग्ट स्टिल्ट, कॉमन टील, वुड सैंडपाइपर जैसी प्रजातियां शामिल हैं।
इन प्रवासी पक्षियों को हम जिम कॉर्बेट, दिल्ली बायोडायवर्सिटी पार्क जैसी जगहों पर भी देख सकते हैं। हालांकि, जलवायु परिवर्तन के कारण प्रवासी पक्षियों की संख्या में तेजी से गिरावट दर्ज की जा रही है।
हमें यह समझना जरूरी है कि प्रवासी पक्षी हमारी एक साझा प्राकृतिक विरासत हैं और इनका भी संरक्षण बेहद जरूरी है।- साभार इंडिया साइंस वायर

 

Key words:- Sing, Fly, Soar – Like a Bird!, Jim Corbett, Delhi Biodiversity Park, #worldmigratorybirdday,livingplanet.panda, Living Planet, Nature lover, COVId-19 Pandemic, LIVING PLANET REPORT 2020, लिविंग प्लेनेट इंडेक्स, जिम कॉर्बेट, दिल्ली बायोडायवर्सिटी पार्क, साइबेरियन क्रेन, Siberian Crane,WMBD 2021 Theme

 

ई बुक के लिए इस विज्ञापन पर क्लिक करें

Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker