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युवाओं के लिए प्रेरणा हैं हिमालय पुत्र और जलधारा

दुनिया जितनी तेजी से दौड़ रही है, उसमें उतनी ही गति से बदलाव हो रहे हैं। मैं अभी इस बहस में नहीं जाना चाहता कि इनमें से कौन सा बदलाव हम सभी के हित में है और कौन सा नहीं।
मैं तो धीमी गति से चलने में विश्वास करता हूं, ताकि उन सभी परिवर्तन का साक्षी बन सकूं, जो हमारे आसपास होते हैं। आज एक बार फिर मैं युवाओं, जिनके बारे में अक्सर यह कह दिया जाता है कि वो तो सोशल मीडिया से बाहर ही नहीं निकलता चाहते, को हाईवे पर फैले कचरे को इकट्ठा करते हुए पाया।

युवाओं के बीच इस सकारात्मक बदलाव को हमें स्वीकार ही नहीं करना होगा, बल्कि उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करना होगा। मुझे यह मानने में कोई हिचक नहीं है कि युवा हमसे ज्यादा ज्ञान रखते हैं। उनके कार्य करने का तरीका हमसे ज्यादा साइंटिफिक है। अगर हम गैर जिम्मेदार नहीं हैं तो आज का .युवा भी कम समझदार नहीं है। मैं अधिकतर युवाओं के बारे में यह बात कह रहा हूं, न कि सभी के।
हां तो मैं बात कर रहा था कि जौलीग्रांट एयरपोर्ट से कुछ पहले ऋषिकेश रोड की, जहां आने-जाने वाले लोग कूड़ा फेंककर आगे बढ़ जाते हैं। खाने पीने की चीजों के पैकेट, पन्नियां, प्लास्टिक गिलास, पानी की बोतलें फेंककर आगे बढ़ने की प्रवृत्ति बहुत खराब है।
हिमालय पुत्र एवं जलधारा से जुड़े नवीन बंगवाल, शैलेंद्र कांत, रश्मि सिंह अमीषा भट्ट और अन्य युवा हमें ऋषिकेश रोड और आसपास जंगल में कचरा इकट्ठा करते मिले। वो भी बिना किसी प्रचार प्रसार के।
साफ्टवेयर इंजीनियर नवीन चंडीगढ़ में जॉब करते हैं, पर अपने साथियों के साथ रविवार को पर्यावरण को कुछ समय देने के लिए हर दूसरे रविवार यहां पहुंच जाते हैं।
उनका कहना है कि हमारे साथ डिजीटली 100 युवा जुड़े हैं, जिनमें से हर रविवार कम से कम 20 से ज्यादा अलग-अलग स्थानों पर कचरा इकट्ठा करके उसको सुरक्षित स्थान पर निस्तारित करते हैं।
इनमें से कुछ युवा चंद्रभागा नदी का अध्ययन कर रहे हैं। उनका कहना है कि चंद्रभागा नदी में जल कम हो रहा है, वो जानना चाहते हैं कि इसकी वजह क्या है।

उनका कहना है कि हम कोशिश कर रहे हैं। हम स्वयं से पहल कर रहे हैं। लोगों को कूड़े की शिफ्टिंग की आदत को छोड़ना होगा। कूड़ा कचरा तो निर्धारित स्थान पर डालने से ही हम पर्यावरण की एक बड़ी मुश्किल को दूर कर पाएंगे।

 

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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