डुगडुगी के छठें अंक में पढ़िएगा-
प्लूटो का नाम तो सुना है-
क्या आपने प्लूटो का नाम सुना है। प्लूटो भी पृथ्वी की तरह सूर्य के चक्कर लगा रहा है। इसको पहले ग्रह कहा जाता है, अब इसको बौना ग्रह कहा जाता है। प्लूटो के साथ ऐसा क्यों हुआ, इस बारे में हम बाद में बात करेंगे, पहले हम आपको प्लूटो के संबंध में कुछ रोचक जानकारी देते हैं।
क्या आपको मालूम है प्लूटो नाम कैसे आया है। 1930 में 11 साल की उम्र की वेनेटिया बर्नी ने 1930 में प्लूटो नाम का सुझाव दिया था। अच्छा तो अब हम आपको बताते हैं कि प्लूटो पृथ्वी से बहुत छोटा ग्रह है। इसकी चौड़ाई करीब 1400 मील यानी 2380 किलोमीटर चौड़ा है। यह अमेरिका की चौड़ाई का भी आधा है। जितना देहरादून से चैन्नई दूर है, उतनी प्लूटो की चौड़ाई है। पृथ्वी के चंद्रमा की चौड़ाई का भी दो तिहाई है प्लूटो।
प्लूटो सूर्य से लगभग 3.6 बिलियन मील यानी 5.8 बिलियन किलोमीटर दूर है। पृथ्वी से सूर्य की जितनी दूरी है, प्लूटो उससे भी 40 गुना दूर कूपर बेल्ट नाम के क्षेत्र में है। अब इस दूरी को जानकर ही आप अंदाजा लगा लीजिए कि अंतरिक्ष कितना बड़ा है। भले ही प्लूटो सूर्य से 3.6 बिलियन मील दूरी पर हो, पर इसके पास पांच चंद्रमा हैं।
एक तो प्लूटो सूर्य से बहुत दूर है और यह बहुत धीरे-धीरे उसकी परिक्रमा कर रहा है। यह तो हम सब जानते ही है कि पृथ्वी, जितने समय में सूर्य का एक चक्कर लगाती है, वह हमारा एक वर्ष यानी 365 दिन होता है। पर, प्लूटो सूर्य का एक चक्कर जितने समय में लगाता है, उतने में तो पृथ्वी पर 248 साल बीत जाएंगे।
पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमते हुए सूर्य की परिक्रमा कर रही है। हमें तो यही जानकारी है कि पृथ्वी को अपनी धुरी पर एक बार घूमने में 24 घंटे का समय लगता है। इसी में दिन और रात होते हैं। अब हम प्लूटो की बात करें तो वो अपनी धुरी पर घूमने में 153 घंटे लगाता है। इस तरह प्लूटो का एक दिन हमारे छह दिन के बराबर होता है।
प्लूटो के वातावरण में नाइट्रोजन, मिथेन और कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस हैं। इसका आकाश भी नीला है। प्लूटो पर इंसान नहीं रह सकते, क्योंकि इसका तापमान माइनस 232 डिग्री सेल्सियस है। यहां बहुत बड़े ग्लेशियर हैं।