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वीडियोः सड़क चौड़ी कराने को लेकर 254 किमी. की पदयात्रा

देहरादून। चमोली जिला के घाट ब्लाक के निवासियों की सरकार के पास चलो पदयात्रा बुधवार को भानियावाला पहुंची, जहां से कल सुबह यात्रा देहरादून को रवाना होगी। यह पैदल यात्रा 254 किमी. की है और इसका उद्देश्य उत्तराखंड राज्य सरकार को उसका वादा याद दिलाना है, जिसमें उसने नंदप्रयाग-घाट रोड को डेढ़ लेन यानी 9 मीटर चौड़ा करने की घोषणा की थी।
घाट ब्लाक में दिसंबर 2020 को परिवहन व्यावसायियों और व्यापारियों ने इस आंदोलन की शुरुआत की थी, जो अब बड़े जन आंदोलन का रूप ले चुका है। भानियावाला में दुर्गाचौक के पास रुके पद यात्रियों में शामिल लक्ष्मण सिंह राणा बताते हैं कि उनको  देहरादून तक की 254 किमी की पदयात्रा निकालने को मजबूर होना पड़ा, क्योंकि राज्य सरकार अपनी ही घोषणा को पूरा नहीं कर रही है।

सरकार घाट ब्लाक के उन 70 हजार लोगों को राहत देने संबंधी अपनी ही उस घोषणा को नजर अंदाज कर दिया, जिसमें वादा किया गया था कि नंदप्रयाग से घाट तक सड़क को डेढ़ लेन यानी मीटर चौड़ा किया जाएगा।
सरकार सहमति के बाद भी अपने ही एक नियम को बाधा के रूप में खड़ा कर रही है, जिसके अनुसार 3000 वाहन प्रतिदिन से कम आवाजाही वाली सड़क को डेढ़ लेन नहीं किया जा सकता, जबकि यह वहां रह रहे हजारों लोगों से जुड़ा मामला है।
स्थानीय निवासी चरण सिंह कहते हैं कि सड़क चौड़ी नहीं होने से दुर्घटनाएं होती हैं। 1962 से यह रोड 6 मीटर चौड़ी ही है। इसको चौड़ा करना जनहित में होगा। बताया गया कि पदयात्रा गुरुवार को हर्रावाला में रुकेगी और शुक्रवार को देहरादून पहुंचकर मुख्यमंत्री से मुलाकात करने का समय लिया जाएगा।

 

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Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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