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उत्तराखंड को मिले 24 स्पेशलिस्ट और सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स

स्वास्थ्य सचिव ने कहा, पहाड़ों में डॉक्टरों की कमी होगी दूर, स्वास्थ्य सेवाएं होंगी मजबूत

देहरादून। उत्तराखंड में स्पेशलिस्ट और सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की पहली तैनाती कर दी गई है। डॉक्टरों को ‘यू कोट-वी पे‘ योजना के तहत संविदा पर तैनाती दी गई है। स्पेशलिस्ट और सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों को चार लाख से छह लाख रुपये महीने का वेतन दिया जाएगा।

स्वास्थ्य सचिव डा. आर राजेश कुमार ने कहा कि स्पेशलिस्ट और सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की तैनाती से राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों में ​स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिल पाएंगी।

स्वास्थ्य विभाग लम्बे समय से राज्य के पर्वतीय जिलों में स्पेशलिस्ट और सुपर स्पेशलिस्ट डाक्टरों की कमी को दूर करने की कवायद कर रहा है, जिसके पहले चरण में 24 डॉक्टरों का चयन किया गया है।

इनमें पैथोलॉजिस्ट, गायनोकॉलोजिस्ट, एनेस्थेटिक, सर्जन, पीडियाट्रिक्शियन, ऑर्थाेपेडिक डॉक्टरों को तैनाती दी गई है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की लोकप्रिय योजना ‘यू कोट-वी पे’ के माध्यम से स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की संविदा पर तैनाती की गई है। सभी डॉक्टरों को तैनाती के ऑर्डर जारी कर दिए गए हैं।

सचिव स्वास्थ्य डा. आर राजेश कुमार ने बताया, प्रदेश के पर्वतीय जिलों में स्वास्थ्य विभाग की ओर से बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर, दवाइयां, आधुनिक चिकित्सा उपकरण की सुविधाएं तो हैं, लेकिन प्रदेश के कुछ स्थानों पर स्पेशलिस्ट डाक्टरों के रिक्त पदों के कारण आमजन को पूर्णता सुविधाओं का लाभ नही मिल पा रहा था।

रिक्त पदों पर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की नियुक्ति होने से आमजन को गुणवत्ता पूर्ण उच्च स्वास्थ्य सुविधा अपने नजदीकी चिकित्सालय में दी गई हैं। आवश्यकतानुसार ‘यू कोट, वी पे’ मॉडल के अन्य चरण भी आयोजित किए जा सकते हैं।

देखें डॉक्टर्स लिस्ट…

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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