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खटीमा में उत्तराखंड आंदोलन के शहीदों की मूर्तियों का अनावरण

मुख्यमंत्री धामी ने किया शहीदों की मूर्तियों का अनावरण

खटीमा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य स्थापना के लिए एक सितंबर 1994 को शहीद हुए आंदोलनकारियों की मूर्तियों का अनावरण किया। शहादत दिवस पर शहीदों की मूर्तियों का अनावरण खटीमा मुख्य चौराहे के पास स्थित शहीद स्थल में किया गया।
मुख्यमंत्री धामी ने शहीदों की मूर्तियों पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की और शहीदों के परिजनों को शॉल भेंट कर सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शहीदों तथा राज्य आंदोलनकारियों के सपनों के अनुरूप राज्य का चहुँमुखी विकास हमारा लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि वो स्वयं एक राज्य आंदोलनकारी होने के नाते आंदोलनकारियों के परिवार की पीड़ा समझ सकते हैं।
खटीमा गोलीकांड को याद कर आज भी खटीमावासियों सहित पूरे उत्तराखंड राज्य के लोगों का दिल सहम जाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य निर्माण के लिए सबसे पहली शहादत खटीमा की धरती पर दी गई थी और इस शहादत के फलस्वरूप हम पृथक राज्य के रूप में अपनी अलग पहचान बना पाए हैं, जो खटीमावासियों के लिए गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की जनता इन वीरों की आजन्म ऋणी रहेगी।
इस दौरान केन्द्रीय पर्यटन एवं रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट , विधायक गोपाल सिंह राणा, महिला आयोग की उपाध्यक्ष सायरा बानो आदि उपस्थित रहे।

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राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन कर रहे हैं। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते हैं। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन करते हैं।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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