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AIIMS Rishikesh ने बताए डेंगू से बचने के तरीके

एम्स ऋषिकेश ने नगर निगम के साथ मिलकर सेवन प्लस वन जागरूकता अभियान चलाया

ऋषिकेश। एम्स ऋषिकेश की टीम ने नगर निगम के साथ मिलकर डेंगू से बचाव के लिए कई इलाकों में सेवन प्लस वन जागरूकता अभियान चलाया। अभियान के संस्थापक एम्स के सह आचार्य डॉ. संतोष कुमार का कहना है कि सात दिन तक स्थानीय जनता के समूह बनाकर घरों व मोहल्लों में डेंगू मच्छर के लारवा वाली जगहों को नष्ट किया जाएगा तथा लोगों को डेंगू मच्छर को पनपने से रोकने के उपाय करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इन सात दिन के बाद हर रविवार हफ्ते में एक बार इसी अभियान को दोहराया जाएगा।

डॉ. संतोष कुमार ने बताया कि मोहल्ले या घरों में रुके हुए पानी जैसे – गमलों में, टायरों में, कूलर, फ्रिज आदि में रुके हुए पानी से डेंगू मच्छर जन्म लेते और फैलते हैं। उन्होंने जनता से अपील की, डेंगू के कहर की रोकथाम के लिए केवल प्रशासन एवं नगर निगम पर ही निर्भर न रहें, बल्कि खुद एक टीम बनाकर अपने मोहल्ले,कार्य स्थलों पर सात दिन तक पानी को जमा नहीं होने दें। साफ सफाई रखें और कीटनाशक दवाओं के छिड़काव के लिए नगर निगम से संपर्क किया जाए।

उन्होंने डेंगू  रोग से बचाव के लिए कुछ उपायों के बारे में बताया, जिस निम्न हैं-

1. इस समय जिस किसी व्यक्ति में डेंगू बुखार के लक्षण हैं, वह घबराए नहीं और घर में रहकर आराम करे।

2. पूरे शरीर को ढंक कर रखें, खासकर दिन के समय मच्छरदानी का उपयोग करें ताकि मच्छरों के माध्यम से दूसरे व्यक्तियों में डेंगू न फैल सके।

3. खूब पानी पीजिए, अपने आपको खूब हाइड्रेट रखें |

4. ज्यादा बुखार आने पर केवल पैरासिटामोल दवा का ही सेवन करें ।

5. शरीर पर लाल व सफेद रंग के चकत्ते पड़ने पर तथा शरीर में नाक/ मुंह से रक्तस्राव होने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें ।

 

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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