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आपातकालीन पशु चिकित्सा के लिए टोल फ्री नंबर 1962 पर करें फोन

मुख्यमंत्री धामी ने राज्य में 60 मोबाइल पशु चिकित्सालय यूनिट का लोकार्पण किया

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के लिए 60 मोबाइल पशु चिकित्सालय यूनिट का लोकार्पण किया। उन्होंने गोट वैली योजना का भी शुभारंभ किया। साथ ही, उत्तराखंड पशुचिकित्सा परिषद, देहरादून के नवीन ट्रेनिंग सेंटर एवं एकत्रीकरण सह प्रजनन फार्म का लोकार्पण तथा नवीन वीर्य प्रयोगशाला का शिलान्यास किया।

पशुपालन विभाग के देहरादून में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने पशु चिकित्सकों को एनपीए देने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि मोबाइल वेटनरी यूनिटों के शुभारंभ से राज्य के दूरस्थ पर्वतीय स्थानों पर आपातकालीन पशुचिकित्सा सेवाएं एवं पशुपालन सम्बन्धी अन्य विभागीय सेवाएं आसानी से प्रदान की जा सकेंगी। इस सेवा के लिए टोल फ्री नम्बर 1962 जारी किया गया है।

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य को हर क्षेत्र में केन्द्र सरकार का पूरा सहयोग मिल रहा है। पशुपालन व्यवसाय में निवेश ग्रामीण क्षेत्रों के विकास का भी मुख्य साधन हो सकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व में पहली बार डेयरी पशुओं का सबसे बड़ा डाटा बेस तैयार किया जा रहा है, जिसके अंतर्गत प्रत्येक डेयरी पशु को एक विशिष्ट टैग लगाया जा रहा है। भारत की डिजिटल क्रांति डेयरी क्षेत्र में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुकी है।

उन्होंने कहा, केंद्र सरकार के दिशा निर्देशों को प्रभावी तरीके से लागू करके राज्य सरकार ने राज्य में लम्पी रोग को पूरी तरह से नियंत्रित करने में सफलता प्राप्त की है। इस रोग के नियंत्रण के लिए प्रदेश में लगभग 6 लाख से अधिक पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है। पशुपालन और डेयरी क्षेत्र में सरकार द्वारा किए जा रहे नवीन प्रयासों से न केवल हमारे राज्य में युवाओं को स्वरोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे, बल्कि ग्रामीण आर्थिकी भी मजबूत होगी और रिवर्स माइग्रेशन की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को नई गति मिलेगी।

इस अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री पशुपालन एवं डेयरी विकास संजीव कुमार बालियान, कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी , सौरभ बहुगुणा , मेयर सुनील उनियाल गामा , विधायक उमेश शर्मा काऊ आदि उपस्थित रहे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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