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उत्तराखंड में टेलीमेडिसिन और ई-हॉस्पिटल सेवा शुरू

  • ई-हास्पिटल सेवा दून मेडिकल कॉलेज में शुरू हुई
  • मुख्यमंत्री ने किया टेलीमेडिसिन और ई हॉस्पिटल सेवाओं का शुभारंभ
देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बुधवार को प्रदेश में बहुप्रतीक्षित टेलीमेडिसिन सेवा और दून मेडिकल कॉलेज में ई-हॉस्पिटल सेवा का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 जैसी विश्वव्यापी महामारी में संक्रमण के प्रसार को कम करने के लिए अस्पतालों में भीड़ को कम करने जैसे उपायों में यह सेवा प्रभावी साबित होगी। साथ ही सुदूर क्षेत्रों जहां चिकित्सा सेवाओं के लिए विशेषज्ञों की राय की आवश्यकता होती है, वह भी पहुंच पाएगी।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह ने कहा कि ई-हॉस्पिटल सेवा दीन दयाल चिकित्सालय (कोरोनेशन) देहरादून व जिला चिकित्सालय अल्मोड़ा में पहले से ही चलाई जा रही है।
एनआईसी से उपलब्ध टेलीमेडिसिन सॉफ्टवेयर को प्रदेश के जिला व अन्य चिकित्सालयों में प्रयोग में लाया जाएगा। यह सेवा https://ors.gov.in तथा https://ehospital.gov.in के माध्यम से उपलब्ध होगी।
वहीं CDAC से प्राप्त संजीवनी टेलीमेडिसिन सॉफ्टवेयर का उपयोग प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में किया जायेगा। ई-संजीवनी टेलीमेडिसिन सेवा https://esanjeevaniopd.inके माध्यम से उपलब्ध होगी। इस सेवा के लिए कोई भी रोगी मोबाइल फोन से भी चिकित्सकीय राय हासिल कर सकता है।
वर्तमान में यह सेवा जिला चिकित्सालय अल्मोड़ा, दीन दयाल चिकित्सालय (कोरोनेशन) देहरादून, बेस चिकित्सालय हल्द्वानी, संयुक्त चिकित्सालय प्रेमनगर देहरादून, सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी व दून मेडिकल कॉलेज देहरादून में शुरू की गई है। भविष्य में सभी जिला चिकित्सालयों एवं मेडिकल कॉलेजों में विस्तारित की जाएगी।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, मदन कौशिक, डॉ. हरक सिंह रावत, यशपाल आर्य, अरविन्द पाण्डेय, सुबोध उनियाल, राज्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, स्वास्थ्य सचिव नितेश कुमार झा, महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ. अमिता उप्रेती, उप महानिदेशक एनआईसी के नारायणन, स्वास्थ्य महानिदेशालय एवं एनआईसी के अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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