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सीएम के शपथग्रहण में नहीं जाने की यह वजह बताई हरीश रावत ने

फेसबुक पर बधाई दी थी और पूरे शपथग्रहण समारोह को मोबाइल फोन पर देखा थाः रावत  

देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के शपथ ग्रहण समारोह में नहीं जाने की पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कुछ वजह बताई हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट में कहा, उनका उद्देश्य शपथ ग्रहण समारोह से दूरी बनाए रखने का नहीं था। उन्होंने फेसबुक पर बधाई दी थी और पूरे शपथग्रहण समारोह को मोबाइल फोन पर देखा था।

रावत ने कहा, उन्हें भेजे गए निमंत्रण पत्र के साथ कार पार्क और कोई स्थान इंडिकेटर अभिसूचित नहीं था, जिस अवसर पर देश के शीर्षस्थ शासक वर्ग उपस्थित हों, वहां यदि आप बिना पूर्व निर्धारित स्थान और बिना कार पार्किंग, प्रवेशद्वार आदि की जानकारी के बिना  पहुंचते हैं, तो आप सुरक्षा हैजार्ड भी बन सकते हैं।

उन्होंने लिखा, मैंने बहुत विचार करने के बाद न जाने का फैसला किया। पिछली बार ऐसा अवसर आया था तो मैं गया था और मंच पर मैंने, मुख्यमंत्री, मंत्रीगणों व भाजपा के नेतागणों को बधाई दी थी और उनके साथ बैठा था। मेरा मानना है मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह एक राज्य का महत्वपूर्ण अवसर होता है। इस अवसर पर विपक्ष के नेताओं और पूर्व मुख्यमंत्रियों को सम्मानपूर्वक बुलाया जाना चाहिए और उनको वहां जाना भी चाहिए, राजनीतिक सौहार्द्र की यह आवश्यकता है।

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राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन कर रहे हैं। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते हैं। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन करते हैं।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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