ElectionFeaturedPoliticsUttarakhand

उत्तराखंड कांग्रेस की इस रणनीति से प्रत्याशियों में बदलाव की संभावना नहीं

उन्हीं नेताओं को सौंपी जिम्मेदारी, जिनके समर्थक कर रहे प्रत्याशियों का विरोध

देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जोरशोर से जुटी कांग्रेस में कुछ प्रत्याशियों का विरोध हो रहा है, पर पार्टी ने इस विरोध को शांत करने की जिम्मेदारी उन्हीं वरिष्ठ नेताओं को सौंपी है, जिनके समर्थक टिकट नहीं मिलने पर नाराज हैं। इससे इस बात की पूरी संभावना है कि कांग्रेस किसी भी घोषित प्रत्याशी को वापस नहीं लेगी।

कांग्रेस ने 64 सीटों पर प्रत्याशी की घोषणा की है, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को रामनगर सीट से प्रत्याशी घोषित किया गया है। कांग्रेस चुनाव प्रचार अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत का भी विरोध किया जा रहा है, पर रावत ने स्पष्ट कर दिया है कि वो 28 जनवरी को इसी सीट पर नामांकन करेंगे। कांग्रेस में टिकटों के बंटवारे और प्रत्याशियों की क्षेत्र में स्थिति की समीक्षा के लिए वरिष्ठ नेताओं ने बैठकें की।

बैठक के बाद, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने 16 सीटों पर स्थिति चुनौतीपूर्ण होने की जानकारी देते हुए कहा कि इनसे निपटने के लिए जिम्मेदारियां दी गई हैं। आठ सीटों पर वो स्वयं तथा चार-चार सीटों पर प्रीतम सिंह व गणेश गोदियाल जिम्मेदारी संभालेंगे।

जानकारी के अनुसार, इनके अलावा पार्टी ने उन सीटों की जिम्मेदारियां भी वरिष्ठ नेताओं को सौंपी है, जहां प्रत्याशियों का विरोध हो रहा है। कांग्रेस ने घोषित प्रत्याशियों का विरोध करने वाले नेताओं की नाराजगी दूर करने के लिए वरिष्ठ नेताओं के हस्तक्षेप की रणनीति बनाई है। नाराज नेताओं और समर्थकों को मनाने का जिम्मा उनके ही नेताओं को सौंपा गया है। इससे कांग्रेस के किसी भी घोषित प्रत्याशी को वापस लेने की कोई संभावना नहीं है। यह संभावना इसलिए भी है, क्योंकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने काफी मंथन और सर्वे के बाद प्रत्याशियों की घोषणा की है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button