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बच्चों को ज्यादा चाय मत पिलाइए

भारत में लगभग सभी घरों में चाय पीने से ही सुबह की शुरुआत होती है। ऐसा माना जाता है कि चाय पीने से पाचन अच्छा रहता है। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता दुरुस्त रहती है और कमजोरी दूर होती है। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि चाय पीने के बहुत से फायदे हैं लेकिन एक बच्चे और वयस्क पर चाय के प्रभाव अलग-अलग होते हैं। कई घरों में लोग चाय में दूध की मात्रा ये सोचकर बढ़ा देते हैं कि इसी बहाने से बच्चा दूध पी लेगा, लेकिन ऐसा सोचना गलत है। हम सभी के घरों में चाय पीना बहुत सामान्य बात है। अगर आपका बच्चा बहुत अधिक चाय पीता है तो इसका असर उसके मस्तिष्क, मांसपेशियों और नर्वस सिस्टम पर भी पड़ सकता है। बहुत अधिक चाय पीने का असर शारीरिक विकास पर पड़ता है। उनकी हड्डियां कमजोर हो सकती हैं। खासतौर पर पैरों में दर्द की शिकायत हो सकती हैं। व्यवहार में बदलाव आ सकता है।

 

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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