Blog LiveenvironmentFeaturedUttarakhandवीडियो न्यूज़

TALLA BANAS में पीपल की जड़ों वाला पानी पीता पूरा गांव

राजेश पांडेय। न्यूज लाइव

पौड़ी गढ़वाल जिले के यमकेश्वर ब्लाक के तल्ला बणास गांव को अपने वर्षों पुराने पानी के स्रोत पर ही विश्वास है। गांववाले कहते हैं, स्रोत का पानी स्वच्छ है, शुद्ध है और हमारी सेहत के लिए अच्छा भी। हमें पाइपों से घर आ रहे पानी की स्वच्छता पर उतना विश्वास नहीं है, जितना इस पर है। इसलिए प्रतिदिन आधा किमी. दूर स्रोत पर पानी लेने जरूर जाते हैं।

तल्ला बणास के घरों में दो योजनाओं से पानी आता है, इसमें एक योजना हंस फाउंडेशन के सहयोग से है और दूसरी जल जीवन मिशन से बताई जाती है। एक योजना में सुबह और दूसरी से शाम को पानी पहुंचता है। ग्रामीण पेयजल योजनाओं से खुश हैं, पर पीने के लिए आज भी पीपल की जड़ों से निकल रहा पानी घर लाते हैं। ग्रामीणों को नहीं मालूम, यह स्रोत कितना पुराना है, पर इसको अपने बुजुर्गों से भी पहले का बताते हैं। बीए के छात्र दीपक नेगी, बताते हैं, उन्होंने सुना है कि यह स्रोत दादा जी से भी पहले का है।

पौड़ी गढ़वाल के तल्ला बणास गांव में वर्षों पुराना पीपल वाला जलस्रोत। फोटो- राजेश पांडेय

जब हम दीपक नेगी के साथ, पीपल वाले स्रोत पर जा रहे थे, रास्ते में हमें गणेशी देवी और सुमन देवी पानी लाते हुए मिले। उन्होंने सिर पर पानी से भरे बंटे रखे थे। गणेशी देवी बताती हैं, घरों पर आ रहा पानी कपड़े धोने, बरतन धोने, पशुओं को पिलाने तथा अन्य घरेलू कार्यों में इस्तेमाल करते हैं। पर, पीने के लिए पीपल वाले स्रोत का पानी सबसे अच्छा है। यह शुद्ध है, स्वच्छ है।

हम स्रोत पर पहुंचे और पीपल के विशाल वृक्ष की जड़ों वाले स्रोत को देखा, जिसे ग्रामीणों ने ढका है। स्रोत से एक पाइप लाइन के जरिये पानी आगे बढ़ रहा है, जिसे ग्रामीण बरतनों में भरते हैं।

पौड़ी गढ़वाल के तल्ला बणास गांव में पीपल का पेड़, जिसकी जड़ों पर जलस्रोत है। फोटो- राजेश पांडेय

दीपक बताते हैं, गर्मियों में यहां भीड़ रहती है। स्रोत के पास ही, लोगों के बैठने के लिए सीमेंटेड बैंच बनाए गए हैं। यहां साफ हवा है, दूर दूर तक दिखते पहाड़ों को देखने का आनंद ही कुछ और है।

नियो विजन संस्था के संस्थापक गजेंद्र रमोला बताते हैं, जल स्रोतों पर लोग इकट्ठा होते हैं। यह सामाजिक सहभागिता, सद्भाव को भी बढ़ाता है। पानी लेने के दौरान एक दूसरे से सुख दुख की बातें भी हो जाती हैं। यहां लोगों के बैठने की व्यवस्था भी की गई है। जड़ों से रिसकर आ रहा पानी तो शुद्ध होगा ही। वाकई बहुत शानदार है यह जल स्रोत।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button