Poetry
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स्त्री
स्त्री, सरल या जटिल, एक अबूझ पहेली, कितना कुछ, ख़ुद में समेटे, बहुत मुश्किल है, एक पुरुष के लिए, एक…
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चिनार प्रेम
अनीता मैठाणी चिनार के दरख़्त से पत्तियों के झरने का मौसम हो जैसे, खुद चिनार सी हो जाती हूँ। कभी…
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तितली ! सभी शूलों को फूल होने दो…
उमेश राय तितली ! सभी शूलों को फूल होने दो…. परिवर्तन सतही नहीं,आमूल-चूल होने दो. सीखने दो बच्चों को सहज-…
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तो ‘निर्’ भय से कह मैं तेरी हूँ,
‘अ’ज्ञान बनादे मुझको तेरा, ज्ञान है मुझको मेरी हूँ तो ‘निर्’ भय से कह मैं तेरी हूँ, और ‘अ’ भय…
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