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आवाज

चीन के किसी गांव में एक युवक अपने घर के बागीचे में काम कर रहा था। उसके बड़े भाई ने उसे पुकारा कि आकर खाना खा लो, लेकिन वह फिर भी बागीचे में बैठा रहा। उसके भाई ने फिर तेजी से आवाज दी, जल्दी आ जाओ, खाना तैयार है। बार-बार आवाज दिए जाने पर युवक को गुस्सा आ गया। गुस्से में तेज आवाज में उसने जवाब दिया क्या तुम एक मिनट रुक नहीं सकते। मैं कुदाल छिपाने के बाद ही आऊंगा। 

जब वह घर के भीतर पहुंचा तो बड़े भाई ने उसको डांटते हुए कहा, क्या बड़ों से इसी तरह बात की जाती है। क्या तुम तेज आवाज में जवाब देकर पूरी दुनिया को सुनाना चाहते थे। तुम धीरे से भी बोलते तो मेरे कान सुन लेते। भविष्य में ध्यान रहे, इतनी तेज आवाज में मेरे सामने मत बोलना।

छोटे भाई ने लंच करने के बाद कुछ देर आराम किया और फिर अपने बागीचे में चला गया। कुछ ही देर बाद वह दौड़ते हुए वापस लौटा और उसने बड़े भाई के कान में फुसफुसाया, किसी ने मेरी कुदाल चोरी कर ली है। बड़े भाई ने कहा, तुमने कुदाल छिपाने की बात बहुत तेज आवाज में कही थी, किसी ने सुन लिया और फिर कुदाल चोरी कर ली। जो बात तुम्हें तेजी से कहनी थी, वह तुमने मेरे कान में आकर फुसफुसाई। – अनुवादित चीनी कथा

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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