DHARMAFeaturedUttarakhand

उत्तराखंड चार धाम यात्राः श्री बदरीनाथ मंदिर के कपाट खुले

श्रद्धालुओं ने भगवान बदरी विशाल के जयकारे लगाए

बदरीनाथ धाम। भगवान बदरीनाथ के जयकारों के बीच मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। श्री बदरीनाथ मंदिर के कपाट रविवार को 6 बजकर15 मिनट पर खोले गए। यहां छह महीने तक श्रद्धालु मंदिर में भगवान बदरीनाथ के दर्शन कर सकेंगे। श्री बदरीनाथ की शीतकालीन गद्दी जोशीमठ में है। कपाट खुलने के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। श्री बदरीनाथ धाम में पहली पूजा और महाभिषेक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से किया गया।

श्री बदरीनाथ धाम को पृथ्वी पर साक्षात भू बैकुंठ कहा जाता है। भारत के चारधामों में एक उत्तर हिमालय में बदरीनाथ धाम को मोक्ष का धाम भी कहा जाता है। इसे सतयुग में मुक्ति प्रदा, त्रेता में योग सिद्धिदा, द्वापर में विशाला ओर कलियुग मे बदरीकाश्रम नाम से पहचान मिली है। बदरीकाश्रम धाम को सभी धामों में प्रमुख धाम, सभी तीर्थों में उत्तम तीर्थ कहा गया है। इसे आठवां भू बैकुंठ भी कहा गया है।

समुद्र सतह से साढ़े दस हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित बदरीनाथ धाम उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। गंद मादन पर्वत श्रृंख्ला में नर नारायण के मध्य नारायण पर्वत पर भगवान बदरीविशाल विराजित हैं। इनके चरणों को धोने के लिए अलकनंदा नदी बहती है। भगवान बदरी विशाल अर्थात श्री विष्णु यहां मंदिर में पदमासन्न मुद्रा में हैं।

भगवान बदरीविशाल अर्थात श्री हरि की बदरीनाथ में अद्भुत मूर्ति या विग्रह है। प्राय: भगवान विष्णु की मूर्ति क्षीर सागर में शेषनाग पर लेटे हुए अथवा शंखचक्र, पदम लिए खड़े रूप में दिखती है, लेकिन बदरीनाथ में भगवान का अद्भुत विग्रह है, यहां भगवान पदमासन्न में बैठे हैं। काले शालीग्राम शीला पर भगवान की स्वयंभू मूर्ति अथवा विग्रह है। जब भगवान का श्रृंगार होता है तो छवि देखने लायक होती है। स्वर्ण सिंहासन होता है। सिर पर सोने के मुकुट भाल पर हीरे का तिलक होता है और दिव्य वस्त्रों से सुसज्जित रहते हैं। साथ में भगवती लक्ष्मी, उद्धव जी, देवताओं के खजांची कुबेर जी तथा नारद जी का विग्रह होता है। इसे बद्रीश पंचायत भी कहते हैं।

मान्यता है कि भगवती लक्ष्मी ने भगवान श्री हरि की साधना के समय बैर के पेड़ के रूप में आकर उन्हें छाया प्रदान की। बैर जिसे संस्कृत में वैर का नाम दिया गया, उसी से इनका नाम बदरीनाथ पड़ा।

बदरीनाथ दिल्ली से 528 किमी की दूरी पर है।  दिल्ली, यूपी या अन्य राज्यों से बदरीनाथ आने के लिए रेल मार्ग से हरिद्वार, ऋषिकेश तक पहुंचा जा सकता है। इसके बाद सड़क मार्ग से बदरीनाथ आ सकते हैं। नजदीकी एयरपोर्ट जौलीग्रांट से सड़क दूरी 317 किलोमीटर है।  नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश से दूरी 300 किलोमीटर है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button