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Photo-उद्गम से रिस्पना की पड़तालः अवैध कब्जों से घिरी नदी

 देहरादून। जेपी मैठाणी

रिस्पना नदी के उद्गम क्षेत्र में केलाघाट, काठ बंगला, सुमन नगर चालंग ग्राम सभा क्षेत्र में ही रिस्पना नदी को पूरी तरह से कब्जाया जा रहा है। केलाघाट नाम के स्थान से अंग्रेजों के जमाने में बनाए गए बैराज से रिस्पना नदी पहली बार नहर में डाली जाती है। आज भी कई दशक बीत जाने के बाद भी ये बैराज शानदार इंजीनियरिंग का नमूना है। ये ही नहर ईस्ट कैनाल कहलाती है।

यहां रिस्पना पहली बार ईस्ट कैनाल में डाल दी जाती है। यह बैराज ब्रिटिशकालीन है और आज भी बदस्तूर अडिग है। Photo- JP Maithani/ newslive24x7.com

देहरादून में केला घाट के पास ब्रिटिशकालीन नहर, जो रिस्पना की वजह से जीवित है। Photo- JP Maithani/ newslive24x7.com
बैराज से गुजरती हुई कैनाल। Photo- JP Maithani/ newslive24x7.com
देहरादून में रिस्पना नदी के बायें किनारे पर एेतिहासिक घराट खंडहर हो गए।
रिस्पना से निकलती नहर में निर्मल पानी Photo- JP Maithani/ newslive24x7.com
देहरादून में नालापानी और श्मशानघाट के पास बुरी तरह प्रदूषित की जा रही है रिस्पना नदी। इस स्थान की सचिवालय से मात्र एक किमी. दूरी है। Photo- JP Maithani/ newslive24x7.com

केलाघाट से ऊपर लगभग एक किलोमीटर जाने पर एक छोटा झरना है, जिसे शिखर फाल कहा जाता है। नहर के किनारे-किनारे केलाघाट से नीचे सुमन नगर तक आज भी रिस्पना नदी के बाएं तट पर प्राचीन घाटों के अवशेष मौजूद है। जैसे कि रिस्पना नदी केलाघाट से नीचे उतरती है, उसके दोनों किनारों पर कंक्रीट के बड़े भवन, अवैध झुग्गियां, आश्रम, वर्तमान में एक धार्मिक स्थल का निर्माण चल रहा है। देखने से साफ पता चलता है कि ये सभी विकास कार्य नदी के प्राकृतिक प्रवाह तंत्र में किए जा रहे हैं।

रिस्पना के कैचमेंट में अधूरी पड़ी बिल्डिंग। Photo- JP Maithani/ newslive24x7.com

सुमन नगर तक पहुंचते-पहुंचते रिस्पना का पानी गायब हो जाता है। काठबंगला में नदी में पानी बिल्कुल नहीं है। और जो थोड़ा सा पानी है भी, वो नहर में डाल दिया गया है। यहां यह भी देखने में आया है कि राजकीय प्राथमिक विद्यालय आर्यनगर, काठबंगला जो कि नगर क्षेत्र देहरादून में है, सहित चार रंगीन नये टॉयलेट रिस्पना नदी के बहाव क्षेत्र में बने हैं। रिस्पना नदी में एक धार्मिकस्थल और सैकड़ों झुग्गी झोपड़ियां भी बने हैं।

देहरादून में काठबंगला क्षेत्र में रिस्पना नदी के पाटों को घेरकर बसी रिहायश। Photo- JP Maithani/ newslive24x7.com

भूगर्भ शास्त्री डॉ. एस. पी. सती बताते हैं कि भूगर्भीय दृष्टि से ढाकपट्टी से साईं आश्रम, झड़ीपानी, चालंग ग्राम सभा क्षेत्र अतिसंवेदनशील हैं। जिनमें बहुमंजिला अपार्टमेंट का बनना, नदी के प्रवाह क्षेत्र से छेड़छाड़ और अतिक्रमण का बुरा प्रभाव निचले इलाकों आर्यनगर, डीएल रोड, चूनाभट्टा, नेहरू कॉलोनी, मोहिनी रोड, डालनवाला, विधानसभा भवन, दून यूनिवर्सिटी, मोथरोवाला आदि क्षेत्रों पर पड़ सकता है। सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द इस संपूर्ण जलागम क्षेत्र का विस्तृत अध्ययन कराए। हैजार्ड जोनेशन मैपिंग कराए औऱ रिस्पना में हो रहे अतिक्रमण को तुरंत रोका जाए।

देहरादून की दूषित रिस्पना पर प्रधानमंत्री ने की मन की बात

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Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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