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सर्वेः ब्लड प्रेशर मापने के लिए मरकरी वाला यंत्र ही डॉक्टरों की पहली पसंद

र्तमान में डिजिटल उपकरण तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। इसके बाद भी ब्लड प्रेशर मापने के लिए उपयोग होने वाला मर्करी युक्त परंपरागत रक्तचापमापी यंत्र (स्फिग्मोमैनोमीटर) आज भी डॉक्टरों की पहली पसंद है।
इंडिया साइंस वायर में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रोपड़ के एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है।

वर्तमान में रक्तचाप (Blood Pressure) मापने के लिए व्यापक रूप से स्वीकृत तीन उपकरण उपलब्ध हैं। इन उपकरणों में मर्करी स्फिग्मोमैनोमीटर Mercury sphygmomanometer (BP Monitor), एरोइड स्फिग्मोमैनोमीटर Aneroid sphygmomanometer और डिजिटल बीपी मॉनिटर Digital BP Monitor शामिल हैं।
इस सर्वेक्षण में शामिल अधिकतर डॉक्टरों और चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े स्वास्थ्यकर्मियों एवं कर्मचारियों ने माना कि मर्करी स्फिग्मोमैनोमीटर के परिणाम बेहद सटीक होते हैं। इसी कारण मर्करी स्फिग्मोमैनोमीटर आज भी उनकी पहली पसंद है।
सर्वेक्षण में शामिल 82 प्रतिशत लोगों का मानना है कि उच्च रक्तचाप मापने के लिए मर्करी स्फिग्मोमैनोमीटर बेहतर है, और इसके परिणाम सटीक होते हैं।

वहीं, 12 प्रतिशत लोगों ने एरोइड स्फिग्मोमैनोमीटर और 06 प्रतिशत लोगों ने स्वचालित डिजिटल बीपी मॉनिटर के परिणामों को बेहतर बताया है।
सर्वेक्षण में 88 प्रतिशत प्रतिभागियों ने कहा है कि यदि उन्हें मर्करी स्फिग्मोमैनोमीटर जैसा मापन उपकरण उपलब्ध कराया जाए, जिसके परिणाम इस यंत्र की भांति सटीक हों, और वह मर्करी रहित हो तो, वह उसे अवश्य खरीदना चाहेंगे।
वर्तमान दौर में विभिन्न डिजिटल उपकरण तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। इसके बावजूद रक्तचाप मापने के लिए उपयोग होने वाला मर्करी युक्त परंपरागत रक्तचापमापी यंत्र (स्फिग्मोमैनोमीटर) आज भी डॉक्टरों की पहली पसंद बना हुआ है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रोपड़ के अध्ययनकर्ताओं द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में यह बात उभरकर आयी है।
इस सर्वेक्षण में तीन एमबीबीएस स्नातक, 59 चिकित्सा एवं संबद्ध शाखा विशेषज्ञ (एमडी), 32 विशिष्ट     विशेषज्ञ और 45 अन्य विशेषज्ञ (गैर-चिकित्सा विशेषज्ञों से एमडी) आदि शामिल थे। यह सर्वेक्षण भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रोपड़ और दयानन्द मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, लुधियाना ने मिलकर किया है। यह सर्वेक्षण ‘ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग’ जर्नल Blood Pressure Monitoring Journal में प्रकाशित किया गया है।

संपूर्ण विश्व के लिए उच्च रक्तचाप एक गंभीर समस्या है। उच्च रक्तचाप की गिनती उन रोगों की श्रेणी में की जाती है, जिसके कारण वर्ष भर में सर्वाधिक मृत्यु होती है। इससे शरीर में रक्त संचार बहुत तेज हो जाता है।
इससे सीने में दर्द, सांस लेने मे तकलीफ, सिर में तेज दर्द और थकान जैसे लक्षण उभरकर आते हैं। वर्ष 2017 के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार, आठ भारतीयों में से एक व्यक्ति उच्च रक्तचाप से पीड़ित है।
उच्च रक्तचाप पर लैंसेट आयोग ने प्रारंभिक कदम के रूप में रक्तचाप मापन की गुणवत्ता में समग्र सुधार की पहचान की बात कही है, जो मृत्यु दर में कमी लाने में प्रभावी हो सकता है।

उच्च रक्तचाप के गलत परिणाम न केवल रोगियों को उचित चिकित्सा से वंचित कर सकता हैं, बल्कि स्ट्रोक जैसी गंभीर समस्या को भी बढ़ा सकता हैं। अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि रक्तचाप के गलत मापन के प्रमुख कारणों में से एक उपकरण का सटीक ढंग से काम नहीं करना है।
वर्तमान में मर्करी स्फिग्मोमैनोमीटर की तुलना में एरोइड स्फिग्मोमैनोमीटर और स्वचालित डिजिटल बीपी मॉनिटर का प्रयोग अधिक किया जाता है। इसका मुख्य कारण है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मिनामाता समझौते (Minamata Convention) के तहत मर्करी के सीमित प्रयोग की बात कही गई है।
इस समझौते का उद्देश्य मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को मर्करी के खतरनाक दुष्प्रभावों से बचाना है। इसी कारण मर्करी स्फिग्मोमैनोमीटर के उत्पादन एवं बाजार में इसकी उपलब्धता में कमी आई है।
– साभारः इंडिया साइंस वायर

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राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन कर रहे हैं। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते हैं। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन करते हैं।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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