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उत्तराखंड में हर साल 24 अरब की नई बाइक-कारें
देहरादून, हल्द्वानी और हरिद्वार ही नहीं पूरे राज्य की सड़कों पर तरक्की फर्राटा भर रही है। उत्तराखंड में साल दर साल प्राइवेट गाड़ियों की बढ़ती संख्या बेहतर जीवन स्तर की ओर भी इशारा करती है। हालांकि राज्य में बड़ी संख्या में लोग आज भी परिवहन के संसाधनों से दूर है। खैर परिवहन विभाग का डाटा तो राज्य में तरक्की का राग सुना रहा है।
उत्तराखंड में हर साल गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन के डाटा का विश्लेषण किया जाए तो कई जानकारियां सामने आती हैं,जो मजबूत होती आर्थिकी की ओर इशारा कर रही हैं। इसके साथ ही लगातार जनता के परिवहन में कमी की बात भी कहती है। परिवहन विभाग के अनुसार 2014-15 में 149936 बाइक और 36896 प्राइवेट कार और जीपों का रजिस्ट्रेशन हुआ है। वहीं कमर्शियल व्हीकल में टैक्सी, मैक्सी के रजिस्ट्रेशन की संख्या 3056 है।
[huge_it_slider id=”3″]इन आंकड़ों के आधार पर कहा जा सकता है कि उत्तराखंड में रोजाना लगभग 100 कारों और जीपों तथा 418 बाइकों का रजिस्ट्रेशन हो रहा है। 2015-16 के आंकड़े इनसे ज्यादा हो सकते हैं। अगर 2013-14 के डाटा से तुलना की जाए तो बाइकों के मामले में रजिस्ट्रेशन की संख्या 13 फीसदी और कारों की नौ फीसदी की दर से बढ़ी है। अगर राज्य में बाहर की गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन की संख्या 10 फीसदी भी मान ली जाए, तो भी राज्य में कारों और जीपों की सालाना खरीदारी की लागत लगभग 16 अरब 42 करोड़ बैठती है। जबकि इसमें टैक्सी मैक्सी की खरीदारी का डाटा शामिल नहीं है।
गाड़ियों का काराेबार
- 418 बाइक रोजाना बिकती हैं, जिनका मूल्य लगभग 2.90 करोड़।
- 07 अरब 49 करोड़ का है बाइकों का सालभर का काराेबार ( प्रति बाइक 50,000 रुपये के अनुसार)
- 100 कारें लगभग रोजाना बिकती हैं जिनका मूल्य लगभग 5 करोड़। इनमें प्राइवेट इस्तेमाल की ही कारें शामिल हैं।
- 5 करोड़ लगभग का कारोबार है कारों का सालाना कारोबार ( औसतन प्रति कार 5 लाख रुपये के अनुसार)
- उत्तराखंड में बाहर के प्रदेशों से खरीदी कारें भी रजिस्टर्ड होती हैं। अगर इनकी संख्या 10 फीसदी भी मानें तो भी यहां कारों की खरीदारी का आंकड़ा सालाना 16अरब 42 करोड़ बैठता है।
- 23 अरब 91 करोड़ लगभग का है उत्तराखंड में कारों और बाइक का सालाना काराेबार ।
क्यों बढ़ रहे प्राइवेट वाहन
- राज्यभर में कई स्थानों पर रात आठ बजे के बाद सार्वजनिक परिवहन सेवा में कमी के कारण बाइकों की खरीदारी बढ़ी।
- समय बचाने और सुविधा को देखते हुए लोग अपनी गाड़ियों से सफर करना ज्यादा पसंद करते हैं।
- परचेजिंग पावर बढ़ी है और ईएमआई की सुविधा ने गाड़ियों की खरीदारी को आसान किया है।
- रोजाना एक से दूसरे शहर में सफर करने के लिए बाइक सबसे ज्यादा सुविधायुक्त औऱ सस्ता साधन।
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