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आत्मनिर्भर भारत के लिए प्रधानमंत्री ने 20 लाख करोड़ के विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा की

  • कुल पैकेज भारत की जीडीपी के 10फीसदी के बराबर है 
  • प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए पांच स्तंभों का उल्‍लेख किया
  • सभी सेक्‍टरों में साहसिक सुधार देश को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाएंगे: प्रधानमंत्री
  • यह हमारे ‘लोकल उत्पादों’ का गर्व से प्रचार करने और उन्हें ‘वैश्विक’ बनाने का समय है: प्रधानमंत्री
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने राष्‍ट्र को संबोधित करते हुए महामारी से जूझते हुए अपनी जान गंवा देने वाले लोगों को याद किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड-19 के कारण जो संकट उभरकर सामने आया है, वह अप्रत्‍याशित है, लेकिन इस लड़ाई में हमें न केवल अपनी रक्षा करने की जरूरत है, बल्कि निरंतर आगे भी बढ़ते रहना होगा। .

 

आत्मनिर्भर भारत

कोविड काल से पहले और बाद की दुनिया का उल्‍लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि 21वीं सदी को भारत की सदी बनाने के सपने को पूरा करने के लिए यह सुनिश्चित करते हुए आगे बढ़ना है कि देश आत्मनिर्भर हो जाए। संकट को एक अवसर में बदलने की बात कहते हुए उन्होंने पीपीई किट और एन-95 मास्क का उदाहरण दिया, जिनका भारत में उत्पादन लगभग नगण्य से बढ़कर 2-2 लाख पीस प्रतिदिन के उच्‍च स्‍तर पर पहुंच गया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भूमंडलीकृत दुनिया में आत्मनिर्भरता के मायने बदल गए हैं। उन्‍होंने स्पष्ट किया कि जब भारत आत्मनिर्भरता की बात करता है, तो वह आत्मकेंद्रित व्यवस्था की वकालत नहीं करता है। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति दुनिया को एक परिवार के रूप में मानती है, और भारत की प्रगति में हमेशा विश्व की प्रगति समाहित रही है। उन्होंने कहा कि दुनिया को भरोसा है कि संपूर्ण मानवता के विकास में भारत का काफी योगदान है।.

आत्मनिर्भर भारत के पांच स्तंभ

भूकंप के बाद कच्छ में मची तबाही को स्‍मरण करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि दृढ़ संकल्प की बदौलत यह क्षेत्र फि‍र से अपने पैरों पर खड़ा हो गया। भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ठीक इसी तरह के दृढ़ संकल्प की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत इन पांच स्तंभों पर खड़ा होगा: अर्थव्यवस्था, जो वृद्धिशील परिवर्तन नहीं, बल्कि लंबी छलांग सुनिश्चित करती है; बुनियादी ढांचा, जिसे भारत की पहचान बन जाना चाहिए; प्रणाली (सिस्‍टम), जो 21वीं सदी की प्रौद्योगिकी संचालित व्यवस्थाओं पर आधारित हो; उत्‍साहशील आबादी, जो आत्मनिर्भर भारत के लिए हमारी ऊर्जा का स्रोत है; और मांग, जिसके तहत हमारी मांग एवं आपूर्ति श्रृंखला (सप्‍लाई चेन) की ताकत का उपयोग पूरी क्षमता से किया जाना चाहिए। उन्होंने मांग बढ़ाने के साथ-साथ इसे पूरा करने के लिए भी आपूर्ति श्रृंखला के सभी हितधारकों को मजबूत करने के महत्व को रेखांकित किया।

आत्मनिर्भर भारत अभियान

प्रधानमंत्री ने एक विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा की और आत्मनिर्भर भारत बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि कोविड संकट के दौरान सरकार द्वारा इससे पहले की गई घोषणाओं और आरबीआई  द्वारा लिए गए निर्णयों से जुड़ी राशि को मिला देने पर यह पैकेज 20 लाख करोड़ रुपये का है, जो भारत की जीडीपी के लगभग 10% के बराबर है। उन्होंने कहा कि यह पैकेज ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनाने के लक्ष्‍य को प्राप्त करने की दिशा में काफी सहायक साबित होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह पैकेज भूमि, श्रम, तरलता और कानूनों पर भी फोकस करेगा। यह कुटीर उद्योग, एमएसएमई, मजदूरों, मध्यम वर्ग, उद्योगों सहित विभिन्न वर्गों की जरूरतों को पूरा करेगा। उन्होंने बताया कि पैकेज का विवरण वित्त मंत्री द्वारा कल से ही आने वाले कुछ दिनों तक पेश किया जाएगा।

पिछले छह वर्षों में लागू किए गए जैम ट्रिनिटी जैसे सुधारों के सकारात्मक प्रभाव के बारे में बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई साहसिक सुधारों की आवश्यकता है, ताकि भविष्‍य में कोविड जैसे संकट को कोई भी प्रभाव पड़ने से बचा जा सके। इन सुधारों में कृषि के लिए आपूर्ति श्रृंखला संबंधी सुधार, तर्कसंगत कर प्रणाली, सरल एवं स्पष्ट कानून, सक्षम मानव संसाधन और एक मजबूत वित्तीय प्रणाली शामिल हैं। ये सुधार कारोबार को बढ़ावा देंगे, निवेश को आकर्षित करेंगे एवं ‘मेक इन इंडिया’ को और भी अधिक मजबूत करेंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भरता देश को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में कड़ी प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करेगी, और यह आवश्‍यक है कि देश इस प्रतिस्‍पर्धा में अवश्‍य ही जीत हासिल करे। पैकेज तैयार करते समय इसे भी ध्यान में रखा गया है। यह न केवल विभिन्न सेक्‍टरों में दक्षता बढ़ाएगा, बल्कि गुणवत्ता भी सुनिश्चित करेगा।

देश में इनके योगदान पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह पैकेज संगठित और असंगठित दोनों ही क्षेत्रों के गरीबों, मजदूरों, प्रवासियों इत्‍यादि को सशक्त बनाने पर भी फोकस करेगा।

उन्होंने कहा कि संकट ने हमें लोकल (स्‍थानीय या स्‍वदेशी) विनिर्माण,  लोकल बाजार और लोकल आपूर्ति श्रृंखलाओं के विशेष महत्व को सिखा दिया है। संकट के दौरान हमारी सभी जरूरतें ‘स्थानीय स्तर पर’ यानी देश में ही  पूरी हुईं। उन्होंने कहा कि अब लोकल उत्पादों का गर्व से प्रचार करने और इन लोकल उत्पादों को वैश्विक बनाने में मदद करने का समय आ गया है।

कोविड के साथ जीना

प्रधानमंत्री ने कहा कि कई विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों का मानना है कि वायरस लंबे समय तक हमारे जीवन का हिस्सा बनने वाला है। हालांकि, इसके साथ यह सुनिश्चित करना भी आवश्‍यक है कि हमारा जीवन केवल इसके इर्द-गिर्द ही न घूमता रहे। उन्होंने मास्क पहनने और ‘दो गज की दूरी’ बनाए रखने जैसी सावधानियां बरतते हुए लोगों को अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए निरंतर काम करने के लिए प्रेरित किया।

लॉकडाउन के चौथे चरण के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि इसका स्‍वरूप अभी तक देखे गए स्‍वरूपों से बिल्कुल अलग होगा। उन्‍होंने कहा कि राज्यों से प्राप्त सुझावों के आधार पर नए नियमों को तैयार किया जाएगा, और इस बारे में जानकारी 18 मई से पहले दे दी जाएगी।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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