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नासा ने सौरमंडल परिवार में खोजे 10 नए ग्रह

वॉशिंगटन


स्पेस एजेंसी नासा ने सौर मंडल के बाहर 219 नए ग्रहों को खोज निकाला है। फिलहाल यही संभावना है कि ये सभी खगोलीय पिंड ग्रह ही हैं। इनमें से 10 ऐसे भी ग्रह हैं, जो बिल्कुल धरती की तरह हैं। इन दसों ग्रहों की परिस्थितियां भी धरती जैसी होने की उम्मीद जताई जा रही है। जिस तरह पृथ्वी अपने सौर मंडल में सूर्य के न ज्यादा पास है और न ज्यादा दूर, ऐसी ही स्थिति इन ग्रहों की भी है। सूर्य के बहुत पास होने से ग्रह पर तापमान बहुत ज्यादा होता है, वहीं सूर्य के बहुत पास होने पर वहां बहुत ठंड होती है जिसकी वजह से पानी के तरह रूप में मौजूद होने की संभावना खत्म हो जाती है पानी की मौजूदगी के कारण इन ग्रहों में जीवन मौजूद होने की मजबूत संभावना नजर आ रही है।नासा ने अपने एक ट्वीट में लिखा,वैज्ञानिकों ने 219 नई संभावित दुनिया खोज निकाली है। इन नए ग्रहों की खोज के साथ ही हमारे सौर मंडल से बाहर स्थित संभावित ग्रहों की कुल संख्या 4,000 तक पहुंच गई है। इन सभी को केपलर अंतरिक्ष दूरबीन की मदद से खोजा गया है।

अपने एक बयान में नासा ने कहा,केपलर ने अब तक ऐसे 4,034 खगोलीय पिंडों की तलाश की है,जो ग्रह कहलाने की दावेदारी रखते हैं। इनमें से 2,335 पिंड हमारे सौर मंडल के बाहर हैं। केपलर ने अभी तक पृथ्वी के आकार के बराबर और जीवन की संभावना से भरे जिन संभावित ग्रहों को खोजा है, उनमें से 30 की तो पुष्टि भी हो चुकी है। बयान में आगे कहा गया है, ‘इसके अलावा, केपलर के आंकड़ों से जुड़े नतीजों को देखने से हमें छोटे-छोटे ग्रहों का 2 काफी बड़ा जमावड़ा भी मिला है। इन दोनों खोजों का जीवन की तलाश में काफी अहम योगदान हो सकता है। सौर मंडल के बाहर जीवन के संकेतों की तलाश में जुटे एसीटीआई संस्थान की एक वैज्ञानिक सुसेन थॉम्पसन ने बताया, नासा द्वारा बेहद सचेत रहकर तैयार की गई यह लिस्ट खगोलशास्त्री के एक सबसे बड़े सवाल से सीधे-सीधे जुड़ी है। और वह सवाल है कि ब्रह्मांड में हमारी धरती जैसे कितने ग्रह हैं।’

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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