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पहाड़ में खेतीः कब निकलेगी धूप, कब कूटे जाएंगे मंडुवा और झंगोरा

रुद्रप्रयाग में किसानों को आसमान साफ होने और धूप निकलने का इंतजार

राजेश पांडेय। न्यूज लाइव

रुद्रप्रयाग में खेतों से करीब दो सप्ताह पहले झंगोरा निकाला जा चुका है और अधिकतर किसानों ने मंडुवा की फसल काट ली है। पर, यहां कई दिन से बादल छाए रहने से धूप कम ही निकल रही है। हवाओं के साथ बारिश ने ठंड बढ़ा दी है। इसके बावजूद किसान, खासकर महिलाएं फसल काटने और पशुओं के लिए चारा इकट्ठा करने के लिए सुबह सात-आठ बजे से दोपहर 12 बजे तक खेतों में दिखाई दे रही हैं। बारिश से खेतों में कार्य करना मुश्किलभरा है।

घरों में बारिश से बचाकर में रखे मंडुवा और झंगोरा को कूटने के लिए आसमान साफ होने और तेज धूप निकलने का इंतजार किया जा रहा है। क्यूड़ी गांव की सुबोधिनी देवी बताती हैं, अभी तक मंडुवा और झंगोरा की कुटाई करके अनाज मिल जाता। आसमान की ओर इशारा करते हुए कहती हैं, धूप तो निकले। पूरा दिन बादल छाए रहते हैं।

रुद्रप्रयाग के क्यूड़ी क्षेत्र में दिनेश सिंह के घर के आंगन में रखा मंडुवा। फोटो- राजेश पांडेय

क्यूड़ी गांव के किसान दिनेश सिंह बताते हैं, उन्होंने लगभग 12 नाली खेत में करीब दो हफ्ते पहले झंगोरा का काटा था, जिसे घर में बारिश से बचाकर रखा है। मौसम साथ देगा तो झंगोरा की कुटाई कर पाएंगे, नहीं तो घर में पड़ा झंगोरा नमी और बारिश से खराब होने की आशंका रहेगी।

किसान दिनेश सिंह के घर पर रखा दो सप्ताह पहले काटे गए झंगोरे का ढेर।

हमें लगता है, इस बार अपेक्षा से बहुत कम फसल मिल पाएगी। इसके साथ ही रयास की दाल भी काटी थी, जिसे धूप का इंतजार है। पानी से बचाने के लिए घर की छत पर तिरपाल के नीचे दाल को रखा है।

महिला किसान सुबोधिनी देवी। फोटो- सक्षम पांडेय

दिनेश ने झंगोरा और मंडुवा अलग-अलग खेतों में बोया था। खेत को खाली करने के लिए पहले झंगोरा की बालियों और फिर तनों, जिनको नयार कहा जाता है, को काटकर घर ले आए थे। तनों को सुखाकर पेड़ों पर टांग दिया जाता है। बीच-बीच में इनको पशुओं को खिलाया जाता है। धूप नहीं निकलने से कटे हुए तने गीले होकर काले पड़ रहे हैं यानी खराब हो रहे हैं। इस हालत में पशु इनको नहीं खाएंगे। ऐसे में दोगुना नुकसान हो जाएगा। कहते हैं, हमने झंगोरा के खेतों को खाली करने के लिए तनों को भी काट लिया था, क्योंकि अब खेतों को गेहूं की बुवाई के लिए तैयार करना है।

रुद्रप्रयाग के क्यूड़ी ग्रामसभा क्षेत्र में किसान दिनेश सिंह और अन्य महिला किसान मंडुवा और दालों को काटकर घरों की ओर ले जाते हुए। फोटो- राजेश पांडेय

चोपता के पास मलाऊं गांव की महिलाएं बताती हैं, धूप नहीं निकलने से मंडुवा की फसल को नहीं कूटा जा पा रहा है। घरों में पड़ी कटी फसल को धूप नहीं मिलने से नुकसान पहुंचने की आशंका है।

महिला किसान सुबोधिनी गांवों में मंडुवा और झंगोरा को पारंपरिक तरीके से हाथों से या भी फिर बैलों को घुमाकर कूटा जाता है। इससे अनाज के दाने अलग हो जाते हैं और भूसा अलग।

उधर, मौसम विभाग के अनुसार, आज (24 सितंबर) और कल (25 सितंबर,2022) को राज्य के चमोली, बागेश्वर, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग व उत्तरकाशी जिलों में कहीं-कहीं भारी से बहुत भारी वर्षा होने का पूर्वानुमान है। किसानों को सलाह दी है कि वो पकी हुई फसल, सब्जियों को काटकर सुरक्षित स्थानों पर ले जाएं।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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