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पुरुषोत्तम ने गौरीकुंड से केदारनाथ धाम तक पैदल चलकर व्यवस्थाएं जांची

देहरादून। नोडल अधिकारी केदारनाथ यात्रा व्यवस्था डाॅ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने सोमवार को गौरीकुंड से केदारनाथ तक पैदल चलकर यात्रा मार्ग में तीर्थ यात्रियों की सुविधा के लिए की गईं विभागीय व्यवस्थाओं का जायजा लिया।

उन्होंने सोनप्रयाग में यात्रियों के पंजीकरण का भी जायजा लिया और यात्रा मार्ग में संचालित घोड़े-खच्चरों के संबंध में जानकारी ली। इस संबंध में पशुपालन विभाग को जरूरी निर्देश दिए। सचिव डॉ.पुरुषोत्तम ने यात्रा मार्गों में तैनात किए गए पुलिस प्रशासन, एसडीआरएफ, डीडीआरएफ, एनडीआरएफ व वाईएमएफ के जवानों से वार्ता कर यात्रा व्यवस्थाओं की जानकारी ली।

उन्होंने सभी अधिकारियों व कर्मचारियों की हौसला अफजाई करते हुए कहा कि सभी विषम परिस्थितियों में अपने दायित्वों का निर्वहन सेवाभाव से करें। उन्होंने कहा कि दर्शन करने आ रहे यात्रियों के साथ मधुर एवं सौम्य व्यवहार रखें तथा सभी अधिकारी एवं कर्मचारी आपसी समन्वय के साथ कार्य करें। इस दौरान उप जिलाधिकारी ऊखीमठ जितेंद्र वर्मा, पशु चिकित्सा अधिकारी डाॅ. रवि कुमार, जीमैक्स इंचार्ज खुशाल सिंह, जल संस्थान, स्वास्थ्य, विद्युत, सुलभ आदि विभागों के अधिकारी एवं कर्मचारी मौजूद रहे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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