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श्री केदारनाथ धाम में पुनर्निर्माण कार्यों के लिए एनटीपीसी से 25 करोड़ का करार

  • पर्यटन सचिव एवं एनटीपीसी के बीच दिल्ली में एमओयू पर हस्ताक्षर
उत्तराखंड के पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने श्री केदारनाथ धाम के पुनर्विकास कार्यों को गति प्रदान करने की श्रृंखला में नई दिल्ली में नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर (सीएसआर) एमएसडी भट्टामिश्रा के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
समझौते के अनुसार एनटीपीसी कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के रूप में ₹25 करोड़ की धनराशि श्री केदारनाथ धाम में विभिन्न पुनर्निर्माण कार्यों एवं यात्री सुविधाओं के विकास के लिए प्रदान की जाएगी। इससे पूर्व सार्वजनिक क्षेत्र के अन्य शीर्षस्थ उपक्रमों तथा श्री केदारनाथ धाम चैरिटेबल ट्रस्ट के मध्य 100 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि के समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किए जा चुके हैं।
पर्यटन सचिव जावलकर ने बताया कि एनटीपीसी से प्राप्त धनराशि का उपयोग मंदाकिनी में आस्था पथ, कतार प्रबंधन, तीर्थयात्रियों के बैठने तथा रेन शेल्टर निर्माण; सरस्वती नदी की ओर वाटर एटीएम निर्माण तथा मंदिर प्लाजा में रेन शेल्टर के निर्माण आदि कार्यों में किया जा सकेगा।
केदारनाथ टाउन केे पुनर्विकास कार्यों के लिए नोडल संस्था केे रूप में कार्य करने वाले श्री केदारनाथ चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा इन सभी कार्यों के लिए अनिवार्य क्लीयरेंस प्राप्त करना होगा।
उन्होंने बताया कि एनटीपीसी धनराशि का भुगतान श्री केदारनाथ उत्थान चैरिटेबल ट्रस्ट को किश्तों में करेगा। इससे पहले इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने 27.96 करोड़, ओएनजीसी ने 26 करोड़, रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन ने 23.52 करोड़ तथा पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन ने 25.6 करोड़ की धनराशि कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व के तहत श्री केदारनाथ उत्थान चैरिटेबल ट्रस्ट को देने के संबंध में समझौता ज्ञापन निष्पादित किए हैं।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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