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धंसता जोशीमठः विकास के लिए पर्यावरण की अनदेखी

जोशीमठ पहुंचकर प्रभावितों से मिले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी

देहरादून। उत्तराखंड का जोशीमठ शहर इन दिनों बड़े संकट के दौर से गुजर रहा है। जोशीमठ में जमीन धंसने से स्थिति लगातार बिगड़ रही है। छह सौ से ज्यादा मकानों में दरारें आ चुकी हैं। जोशीमठ के तमाम हिस्सों से सतह के नीचे पानी का बेतरतीब ढंग से रिसाव हो रहा है। भू-धंसाव से प्रभावित परिवारों को त्वरित राहत पहुंचाने और उनके पुनर्वास की समुचित व्यवस्था करने की मांग उठाई जा रही है।

उधर, पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री व कांग्रेस नेता जयराम रमेश, जो वर्तमान में भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हैं, ने ट्वीट के माध्यम से कहा, जब मैं पर्यावरण मंत्री था, उत्तराखंड में विकास-पर्यावरण के मुद्दे से जूझता रहा। अधिकांश मामलों में, मैंने पारिस्थितिकीय संरक्षण के पक्ष में निर्णय लिया। इससे मेरे ज्यादा दोस्त नहीं बने, लेकिन जोशीमठ के ये दृश्य मेरी स्थिति की पुष्टि करते हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार शाम उच्च स्तरीय बैठक के बाद शनिवार को जोशीमठ पहुंचकर प्रभावितों से बातचीत की। उनका कहना है, प्रभावितों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाना उनकी प्राथमिकता है। इससे पहले मुख्यमंत्री धामी ने जोशीमठ के संबंध में अधिकारियों से रिपोर्ट लेकर अति संवेदनशील क्षेत्रों में बने भवनों को तत्काल खाली कराने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने प्रभावितों को आश्वस्त किया कि सरकार उनके साथ खड़ी है और चरणबद्ध ढंग से संवेदनशील जगहों से सबको शिफ्ट किया जाएगा।

इससे पहले जोशीमठ में भू-धंसाव के दृष्टिगत जिला प्रशासन ने बीआरओ के अन्तर्गत निर्मित हेलंग बाईपास निर्माण कार्य, एनटीपीसी तपोवन विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना के अन्तर्गत निर्माण कार्य एवं नगरपालिका क्षेत्रान्तर्गत निर्माण कार्यों एवं जोशीमठ-औली रोपवे का संचालन पर रोक लगा दी थी।

उधर, राजीव गांधी पंचायत राज संगठन के प्रदेश अध्यक्ष मोहित उनियाल ने जोशीमठ शहर में जमीन धंसने से हजारों परिवारों को खतरा पैदा होने पर चिंता व्यक्त करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश से विस्तार से वार्ता की। उन्होंने जोशीमठ की जनता की सुरक्षा तथा सभी परिवारों के सुरक्षित विस्थापन की मांग को राष्ट्र स्तर पर उठाने की अपील की।

उनियाल ने कहा कि बड़े हाइड्रो प्रोजेक्ट्स की वजह से उत्तराखंड के पहाड़ों पर संकट खड़ा हो रहा है, इन प्रोजेक्ट्स को तत्काल रोकने की मांग को लेकर कांग्रेस संगठन को बड़ा आंदोलन करना होगा। उनियाल ने बताया, पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने इस बात के लिए आश्ववस्त किया कि कांग्रेस संगठन भाजपा सरकार से इस समस्या के समाधान के लिए निरंतर प्रयास करेगी। उन्होंने संवेदनशील पहाड़ों में हाइड्रो प्रोजेक्ट को लोगों की सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए कहा, उत्तराखंड सरकार पर स्थानीय निवासियों की सुरक्षा के लिए दबाव बनाया जाएगा।

उनियाल से वार्ता के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने जोशीमठ के मुद्दे पर एक ट्वीट किया, 26 महीने जब मैं पर्यावरण मंत्री था, उत्तराखंड में विकास-पर्यावरण के मुद्दे से जूझता रहा। अधिकांश मामलों में, मैंने पारिस्थितिक संरक्षण के पक्ष में निर्णय लिया। इससे मेरे ज्यादा दोस्त नहीं बने, लेकिन जोशीमठ के ये दृश्य मेरी स्थिति की पुष्टि करते हैं।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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