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मुख्यमंत्री ने की जोशीमठ का नाम ज्योर्तिमठ करने की घोषणा

चमोली। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चमोली जिले के ब्लाक नन्दानगर (घाट) में जनसभा को संबोधित करते जोशीमठ का नाम ज्योर्तिमठ करने की घोषणा की। जोशीमठ का पौराणिक नाम ज्योर्तिमठ है।
शनिवार को आयोजित कार्यक्रम के दौरान सीएम ने लगभग 56.55 करोड़ की विभिन्न विकास योजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास किया। इससे पहले नन्दानगर पहुंचने पर क्षेत्रवासियों ने फूल मालाओं से उनका जोरदार स्वागत करते हुए उन्हें स्मृति चिन्ह और शाल भेंट किया। साथ ही घाट ब्लाक का नाम नन्दानगर रखने पर मुख्यमंत्री का आभार जताया।
मुख्यमंत्री धामी ने सर्वप्रथम मां भगवती नन्दा राजेश्वरी के सिद्धपीठ कुरूड़ की पावन भूमि को नमन किया। सभा को संबोधित करते हुए धामी ने कहा, आज श्रद्धेय जननायक, भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी की जन्म जयंती भी है। भारत के मानचित्र में अलग राज्य के तौर पर उत्तराखंड का गठन करने वाले अटल जी को देवभूमि का शत-शत प्रणाम करता हूं।
मुख्यमंत्री ने कहा, हमारा लक्ष्य विकास को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाना है और इसके लिए हम दिन रात प्रयत्नशील हैं। हमारा संकल्प है राज्य स्थापना के रजत जयंती वर्ष तक उत्तराखंड को भारत का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाना और हमारा संकल्प ’’विकल्प रहित संकल्प’’ है। कार्यक्रम के दौरान सीएम ने शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि भी दी।
सांसद एवं पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत ने कहा कि हमारी सरकार ने तेजी से क्षेत्र का विकास किया है। उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार चारधामों को सड़क और रेल लाइन से जोड़ने का काम कर रही है। आज देश और प्रदेश का विकास कुशल नेतृत्व से तेजी से आगे बढ़ रहा है।
कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा, हम सब प्रदेश के विकास के लिए संकल्पबद्ध हैं और इसी संकल्प के साथ हमारी सरकार रात दिन विकास कार्य में जुटी है। उन्होंने कहा, ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक रेलवे लाइन को पहुंचाने की कवायद के मेरे ड्रीम प्रोजेक्ट को भी प्रधानमंत्री ने साकार कर दिया।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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