Short story- Moral Values

बच्चों के लिए जॉक्स

एक उत्सुक बच्चे ने अपनी मां से पूछा: “माँ, आपके कुछ बाल सफेद हो रहे हैं?” माँ ने इस अवसर को अपने बच्चे को पढ़ाने के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि आप की हर गलती पर एक बाल सफेद हो जाता है। आप गलतियां नहीं करोगे तो बाल सफेद नहीं होंगे। बच्चे ने बड़ी मासूमियत से कहा, “अब मुझे पता चला कि दादी के सिर पर सारे बाल सफेद क्यों हैं। 

विदेश से लौटने के बाद एक यात्री को एयरपोर्ट पर अपना सामान नहीं मिल सका। वह गुम हुए सामान की सूचना देने के लिए एयरपोर्ट के काउंटर पर गया। जहां उपस्थित एक महिला कर्मचारी ने उससे मुस्कराते हुए कहा कि, चिंता करने की बात नहीं है। यहां सभी प्रोफेशनल कर्मचारी हैं। आपका सामान सुरक्षित हाथों में है। इसके बाद उस कर्मचारी ने यात्री से पूछा कि क्या आपका विमान पहुंच गया है। यह सुनते ही यात्री बेहोश होते हुए बचा। 
 
 
एक प्रोफेसर नाव पर यात्रा कर रहा था। रास्ते में नाविक से पूछा। “क्या आप बायोलॉजी, इकोलॉजी, जूलॉजी, साइकोलॉजी जानते हैं? नाविक ने उनके सवालों के जवाब नहीं दिए। इस पर प्रोफेसर ने कहा, तुम पृथ्वी के बारे में कुछ नहीं जानते हो? तुम बिना पढ़े लिखे हो और ऐसे ही मर जाओगे। कुछ समय बाद नाव डूबने लगी। नाविक ने प्रोफेसर से पूछा, क्या आप स्विमोलॉजी,एस्कैपोलॉजी जानते हैं? प्रोफेसर ने कहा, नहीं। नाविक ने कहा, तो “ठीक है, शार्कोलॉजी और क्रोकोडोलॉजी आपके हेडोलॉजी को खा लेंगे। आप डैथोलॉजी हो जाओगे अपने माउथोलॉजी की वजह से। 
 

कक्षा में शिक्षक ने विद्यार्थियों को “ई” लैटर से शुरू होने वाले जानवर का नाम पूछा।  एक लड़के ने कहा , “एलीफेंट।” फिर शिक्षक ने “टी” लैटर वाले जानवर का नाम पूछा, जवाब मिला, “टू एलीफेंट।” 

शिक्षक ने कक्षा के सबसे शरारती बच्चे से पूछा कि “एम” से शुरू होने वाले जानवर का नाम बताओ, उसने जवाब दिया “मै बी एन एलीफेंट!”
 
एक बच्चे से किसी ने पूछा, आप कहां रहते हो।
बच्चे ने कहा, अपने मम्मी पापा के साथ।
आपके मम्मी पापा कहां रहते हैं।
बच्चा- मेरे साथ।
आप तीनों कहां रहते हो।
बच्चा- साथ-साथ रहते हैं।
मैं पूछ रहा हूं आपका घर कहां हैं। 
बच्चे ने कहा, मेरे पड़ोसी के घर के पास। 
आपका पड़ोसी कहां रहता है। 
बच्चा- मैं बताऊंगा तो आप विश्वास नहीं करोगे।
भाई जल्दी बताओ, मैं विश्वास कर लूंगा। 
बच्चा- मेरा पड़ोसी मेरे घर के पास रहता है। 
 
 
 

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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