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तैरता हुआ सौर ऊर्जा प्लांट

5 दिसंबर,2017 को केरल के वायनाड में बनसुर सागर बांध पर भारत का सबसे बड़ा अस्थायी सौर ऊर्जा संयंत्र चालू हो गया है। पानी की सतह पर तैरते हुए सौर ऊर्जा संयंत्र की क्षमता 500 किलोवाट है। इसमें 260 वाट की क्षमता वाले 1,938 सौर पैनल, 500 किलो वोल्ट एम्पीयर (केवीए) ट्रांसफार्मर और 17 इनवर्टर हैं। परियोजना की कुल लागत 9.25 करोड़ रुपये है।

विश्व मृदा दिवस (डब्लूएसडी) हर साल 5 दिसंबर को मनाया जाता है। यह दिवस मिट्टी की गुणवत्ता के महत्व और खाद्य सुरक्षा, स्वस्थ पारिस्थितिकीय तंत्र व मानव कल्याण का संदेश देता है। 2017 की थीम “जमीन से शुरू होती है ग्रह की देखभाल करना”। खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के रोम स्थित मुख्यालय के साथ ही सभी क्षेत्रीय कार्यालयों और राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर यह दिवस हर साल मनाया जाता है।

आंध्र प्रदेश विधानसभा ने राज्य में शिक्षा और रोजगार में पिछड़ा जातियों ‘एफ’ श्रेणी के तहत कपू समुदाय को 5फीसदी कोटा प्रदान करने के लिए कपू आरक्षण विधेयक पारित किया है। बिल को अनुमोदन के लिए केंद्र को भेजा जाएगा और अनुसूची 9 में कपू आरक्षण को शामिल करना होगा, ताकि वह वैध हो जाए। राज्य में पिछड़ी जातियों के लिए ए, बी, सी, डी और ई श्रेणियों के लिए पहले से 29% आरक्षण हैं। इसके अलावा क्रमशः अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए 15% और 6% आरक्षण हैं।

भारत का पहला मैडम तुसाद मोम संग्रहालय आधिकारिक तौर पर नई दिल्ली में खोल दिया गया है। इसमें 50 हस्तियों जिनमें सचिन तेंदुलकर, मैरी कॉम, मिल्खा सिंह, लियोनेल मेस्सी, अमिताभ बच्चन, माधुरी दीक्षित नेने और महात्मा गांधी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मशहूर शामिल हैं, के मोम के पुतले मौजूद हैं। विश्व स्तर पर यह 23 वां मैडम तुसाद मोम संग्रहालय है। यह सभी सात दिन वयस्कों के लिए 960 रुपये और बच्चों के लिए 760 रुपये के टिकट के साथ खुलेगा।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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