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ICAR-IISWC Kharif Crop Solutions: गांवों में जाकर वैज्ञानिकों ने बताए फसल संबंधी दिक्कतों के समाधान

ICAR-IISWC Kharif Crop Solutions:देहरादून, 2 जून 2025: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद–भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (ICAR-IISWC), देहरादून, ने “विकसित कृषि संकल्प अभियान (VKSA) 2025” के अंतर्गत खरीफ फसलों की चुनौतियों का सामना करने और किसानों को व्यावहारिक समाधान प्रदान करने के लिए व्यापक फील्ड दौरे किए।

ICAR-IISWC के निदेशक डॉ. एम. मधु के निर्देशन में अभियान के तहत, एक जून 2025 (रविवार) को दस वैज्ञानिक टीमों और 2 जून 2025 (सोमवार) को पांच वैज्ञानिक टीमों ने देहरादून और हरिद्वार जिलों के सात ब्लॉकों (भगवानपुर, चकराता, डोईवाला, कालसी, रायपुर, सहसपुर और विकासनगर) के 24 गांवों का सघन दौरा किया।

फील्ड विज़िट के मुख्य उद्देश्य

ICAR-IISWC Kharif Crop Solutions: इन दौरों का प्राथमिक उद्देश्य किसानों की वास्तविक समस्याओं को समझना और उनका दस्तावेजीकरण करना था। टीमों ने तत्काल वैज्ञानिक समाधान और सुझाव प्रदान किए, साथ ही VKSA 2025 के उद्देश्यों और कृषि एवं किसान कल्याण से संबंधित सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाई।

पहचानी गई प्रमुख समस्याएँ

वैज्ञानिकों ने खरीफ फसलों जैसे टमाटर, कचालू, मटर, अदरक, मक्का, लहसुन और धान में कई गंभीर समस्याएँ चिन्हित कीं। इनमें

टमाटर में फलों पर काले धब्बे, गुणवत्ता में गिरावट, पौधों का मुरझाना और सूखना।

कचालू में पौधों का काला पड़ना और सूख जाना।

अदरक में जड़ों का सड़ना और कॉलर रॉट;

मक्का में तने में कीटों का संक्रमण और फॉल आर्मीवर्म का प्रकोप प्रमुख थे।

इसके अतिरिक्त, जंगली सूअर (अदरक में) तथा हिरण, खरगोश और पक्षियों जैसे वन्य जीवों द्वारा फसलों को नुकसान एक बड़ी समस्या पाई गई। अन्य चुनौतियों में सिंचाई के लिए जल स्रोतों का अनुपयोगी होना, विभागीय सहयोग की कमी, विशेषज्ञों के सुझावों की अनुपलब्धता और गुणवत्तापूर्ण बीज जैसे आवश्यक इनपुट का अभाव शामिल था।

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समाधान और अनुशंसाएं (ICAR-IISWC Kharif Crop Solutions)

वैज्ञानिकों ने किसानों को मौके पर ही मार्गदर्शन और प्रदर्शन के माध्यम से समाधान बताए। प्रमुख समाधान इस प्रकार हैं:

  • टमाटर: बेहतर जल निकासी, पौधों को सहारा देना, संक्रमित पौधों को हटाना, बैक्टीरियल विल्ट के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड और मैनकोजेब (3 ग्राम/लीटर पानी) का छिड़काव, फल छेदक कीट नियंत्रण के लिए क्विनालफॉस 25% EC (1 मि.ली./लीटर पानी) का प्रयोग, नेमाटोड नियंत्रण के लिए नेमागोन (2-3 मि.ली./लीटर पानी) का जड़ों के पास ड्रेंचिंग, और कीट नियंत्रण के लिए हर 16 पंक्तियों के बाद 1 पंक्ति अमेरिकन टॉल गेंदा लगाना। लगातार संक्रमण की स्थिति में फसल अवकाश या फसल चक्र अपनाने की सलाह दी गई।
  • मक्का: जड़ के कीटों, ग्रब्स, नेमाटोड्स और कटवर्म के नियंत्रण हेतु कार्बोफ्यूरान 3% (2-3 ग्राम/पौधा) का प्रयोग।
  • अदरक, टमाटर और कचालू: कॉलर रॉट, डैम्पिंग ऑफ, विल्ट और काले धब्बों से सुरक्षा के लिए बेविस्टिन (2 ग्राम/लीटर पानी) से बीज उपचार या जड़ों के पास ड्रेंचिंग।
  • सामान्य कीट नियंत्रण: लार्वा नियंत्रण के लिए नोवल्यूरॉन 10 EC (7.5 मि.ली./10 लीटर पानी) का छिड़काव।
  • जैविक खेती: जैविक खेती करने वाले किसानों को खेत की तैयारी और बुवाई के समय आवश्यक सावधानियों की विस्तृत जानकारी दी गई।

किसानों को फसल पंचांग, सलाह पत्र और प्रमुख फसलों के लिए वैज्ञानिक तरीकों के पैकेज भी वितरित किए गए, साथ ही त्वरित मार्गदर्शन के लिए विशेषज्ञ वैज्ञानिकों के संपर्क नंबर भी साझा किए गए।

क्षेत्रीय स्थिति और किसानों की प्रतिक्रिया

फील्ड निरीक्षणों से यह सामने आया कि किसानों में वर्तमान सरकारी योजनाओं की जानकारी सीमित है, उपलब्ध जल स्रोतों का प्रभावी उपयोग नहीं हो पा रहा है, वन्य जीवों से फसल को बार-बार नुकसान हो रहा है, और विपणन तंत्र की कमी के साथ कीट व रोग प्रबंधन में निरंतर समस्याएं बनी हुई हैं।

इन चुनौतियों के बावजूद, लगभग 1230 किसानों और ग्राम प्रधानों ने इस अभियान में सक्रिय भागीदारी दिखाई, जो कृषि सुधारों में उनकी गहरी रुचि और सहभागिता को दर्शाता है।

नेतृत्व और समन्वय

इस महत्वपूर्ण अभियान का नेतृत्व प्रमुख और वरिष्ठ वैज्ञानिकों डॉ. बांके बिहारी, डॉ. एम. मुरुगानंदम, डॉ. डी.वी. सिंह, डॉ. अम्बरीश कुमार, डॉ. श्रीधर पात्र और डॉ. इंदु रावत ने किया। टीम के सदस्यों में डॉ. जे. जयप्रकाश, डॉ. मातबर सिंह, डॉ. रमा पाल, डॉ. दीपक सिंह, डॉ. सादिकुल इस्लाम, डॉ. अभिमन्यु झाझड़िया, एम.एस. चौहान (सीटीओ), राकेश कुमार (सीटीओ), एम.एस. बिष्ट (एसीटीओ), डॉ. प्रमोद लवाटे, रविशंकर और सोनू (टीए) शामिल थे।

29 मई से 12 जून 2025 तक चलने वाले इस 15 दिवसीय अभियान का समन्वय डॉ. बांके बिहारी, डॉ. एम. मुरुगानंदम (प्रमुख वैज्ञानिक), अनिल चौहान (सीटीओ), इंजीनियर अमित चौहान (एसीटीओ) और प्रवीण तोमर (एसटीओ) द्वारा किया जा रहा है।

निष्कर्ष

यह सक्रिय पहल खरीफ फसल योजना को बेहतर बनाने, मानसून की तैयारियों को सुनिश्चित करने और किसान-केंद्रित ज्ञान प्रसार को बढ़ावा देने का कार्य कर रही है। यह अभियान सतत और स्थायी कृषि के प्रति ICAR-IISWC की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

Rajesh Pandey

newslive24x7.com टीम के सदस्य राजेश पांडेय, उत्तराखंड के डोईवाला, देहरादून के निवासी और 1996 से पत्रकारिता का हिस्सा। अमर उजाला, दैनिक जागरण और हिन्दुस्तान जैसे प्रमुख हिन्दी समाचार पत्रों में 20 वर्षों तक रिपोर्टिंग और एडिटिंग का अनुभव। बच्चों और हर आयु वर्ग के लिए 100 से अधिक कहानियां और कविताएं लिखीं। स्कूलों और संस्थाओं में बच्चों को कहानियां सुनाना और उनसे संवाद करना जुनून। रुद्रप्रयाग के ‘रेडियो केदार’ के साथ पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाईं और सामुदायिक जागरूकता के लिए काम किया। रेडियो ऋषिकेश के शुरुआती दौर में लगभग छह माह सेवाएं दीं। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम से स्वच्छता का संदेश दिया। जीवन का मंत्र- बाकी जिंदगी को जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक, एलएलबी संपर्क: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला, देहरादून, उत्तराखंड-248140 ईमेल: rajeshpandeydw@gmail.com फोन: +91 9760097344

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