
How clouds float: क्या आप जानते हैं, बादल इतना पानी लेकर कैसे उड़ते हैं?
How clouds float: बच्चों, आज हम एक मज़ेदार जानकारी पर बात करेंगे। कभी आसमान में बड़े-बड़े बादलों को देखा है? वो कितने विशाल लगते हैं, है ना? ऐसा लगता है जैसे पानी के पहाड़ हवा में तैर रहे हों।
आपको याद है, जब हम धूल झाड़ते हैं, तो हवा में छोटे-छोटे धूल के कण उड़ते रहते हैं? वो इतने हल्के होते हैं कि हवा उन्हें आसानी से ऊपर उठाए रखती है। वो तुरंत नीचे नहीं गिरते।
बादल भी ठीक ऐसे ही होते हैं!
बादल दरअसल पानी की बड़ी-बड़ी बूंदों से नहीं बनते। वो बने होते हैं पानी की लाखों-करोड़ों, नन्हीं-नन्हीं बूंदों से, या कहें तो बहुत छोटे-छोटे बर्फ के टुकड़ों से। ये इतने छोटे और हल्के होते हैं, बिल्कुल रुई के फुहों की तरह!
सोचिए, एक रुई का फुहा कितना हल्का होता है। उसे हवा भी आसानी से उड़ा ले जाती है।
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जब फुहे भारी हो जाएं, तब क्या होता है?
बादलों में भी ऐसा ही होता है। हमारी धरती से ऊपर उठती हुई गरम हवा (जैसे गरम हवा का गुब्बारा ऊपर जाता है), इन नन्हीं पानी की बूंदों को ऊपर उठाए रखती है। जब तक ये बूंदें छोटी और हल्की रहती हैं, वो हवा में तैरती रहती हैं।
लेकिन, जब ये लाखों बूंदें आपस में चिपक-चिपक कर बड़ी और भारी हो जाती हैं, (जैसे रुई के ढेर सारे फुहे मिलकर एक बड़ा, ठोस रुई का गोला बन जाएं)… तब क्या होगा? वो भारी गोला नीचे गिर जाएगा, है ना?
और इसी को हम बारिश कहते हैं!
How clouds float: ठीक वैसे ही, जब बादल में पानी की बूंदें इतनी बड़ी और भारी हो जाती हैं कि हवा उन्हें और ऊपर नहीं रख पाती, तो वो नीचे गिरने लगती हैं। और यही है हमारी बारिश!
तो, जब भी बादलों को आसमान में देखें, तो याद रखना: वो पानी के पहाड़ नहीं, बल्कि पानी की नन्हीं-नन्हीं बूंदों के समूह हैं, जो हवा में उछलते-कूदते रहते हैं!