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प्रसव से पहले गर्भवती महिलाओं को अस्पताल के पास आवासीय सुविधा मिलेगी

राज्य के सभी जिलों में बने वन स्टॉप सेंटर एवं वर्किंग वुमेन हॉस्टल में मिलेगी विश्राम की सुविधा

देहरादून। उत्तराखंड में शीघ्र ही गर्भवती महिलाओं को बर्थ वेंटिग होम की सुविधा मिलेगी। केंद्रीय राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की बैठक में यह निर्णय लिया गया है। दूरस्थ गांवों में रहने वाली गर्भवती महिलाओं को चिकित्सीय देखभाल के लिहाज से यह सुविधा महत्वपूर्ण साबित होगी।

स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया कि मातृ स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं को प्रसव की संभावित तिथि से पहले वन स्टॉप सेंटर एवं वर्किंग वुमेन हॉस्टल में विश्राम की सुविधा के राज्य सरकार के प्रस्ताव को भारत सरकार ने मंजूरी दी है। योजना के तहत, दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाली गर्भवती महिलाओं को चिकित्सकीय देखभाल समय पर प्राप्त होगी। यह कदम मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने में महत्वपूर्ण साबित होगा।

स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया, बजट में देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी, उधमसिंह नगर, नैनीताल को मोबाइल टीबी वैन एवं ट्रूनेट मशीन की सुविधा की स्वीकृति मिली है।

अल्मोड़ा, बागेश्वर, चमोली, चंपावत, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग, टिहरी, उत्तरकाशी को मोबाइल एक्स-रे के साथ मोबाइल मेडिकल यूनिट पर सहमति बनी है, जिससे टी.बी के मरीजों की स्क्रीनिंग में आसानी होगी। टीबी. से ग्रसित मरीज एवं उनके परिवारजन के एक्स-रे के लिए निःशुल्क आवागमन की सुविधा हेतु भारत सरकार से स्वीकृति मिली है।

एक माह से पांच वर्ष तक की आयु के बच्चों में कुपोषण की समस्या को कम करने के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र (एन.आर.सी.) पिथौरागढ़ को स्वीकृति दी गई है।

उन्होंने बताया, प्रदेश को मोतियाबिंद बैकलॉग मुक्त बनाने के लिए मोतियाबिंद की स्क्रीनिंग हेतु टिहरी एवं पिथौरागढ़ जनपदों को मोबाइल वैन की सुविधा उपलब्ध कराने की स्वीकृति मिली है। उप जिला चिकित्सालय मसूरी में नेत्र सर्जरी के लिए स्वीकृति प्रदान की गई है।

डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया कि उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों के लिए टेलीमेडिसिन सेवा लोगों के जीवन को बचाने में महत्वपूर्ण है।  भारत सरकार ने इस प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है। अब चिकित्सक अपने ड्यूटी के बाद दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे तक टेली कंसल्टेशन के माध्यम से लोगों को सुझाव परामर्श देंगे। चिकित्सकों को प्रत्येक रोगी के चेकअप पर 150 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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